माँ नर्मदा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
माँ नर्मदा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 27 अक्टूबर 2012

28 अक्टूबर को नर्मदा महोत्सव में नृत्य नाटिका "नित नमन माँ नर्मदे" की प्रस्तुति होगी





 28 अक्टूबर  को नर्मदा महोत्सव में नृत्य नाटिका "नित नमन माँ नर्मदे" की प्रस्तुति होगी  


              जबलपुर. शरद पूर्णिमा के अवसर पर नर्मदा महोत्सव में संगमरमर की वादियों के बीच चाँदनी रात का आनंद उठाने हेतु इस वर्ष भी भेड़ाघाट में आयोजित नर्मदा महोत्सव 
में  मध्य प्रदेश शासन पर्यटन विभाग  एवं जिला प्रशासन द्वारा ख्याति प्राप्त कलाकारों के गायन, वादन व नृत्यों की  मनोहारी छटा भी बिखरेगी. साथ ही प्रदेश व देश के कोने कोने में अपनी कला के माध्यम से जबलपुर  का नाम गौरान्वित करने वाले  स्थानीय कलाकारों को भी आमंत्रित किया गया है. इन्हीं में से आर्या स्कूल ऑफ़ डांस एंड 

पर्फार्मिंग आर्ट जबलपुर के कलाकारों  द्वारा नर्मदा महोत्सव के प्रथम दिवस विख्यात पार्श्व गायक कैलाश खेरकी प्रस्तुतियों के ठीक पूर्व  साहित्यकार - गीतकार डॉ. विजय तिवारी "किसलय" द्वारा रचित नित नमन माँ नर्मदे नृत्य नाटिका को ख्याति प्राप्त निर्देशक द्वय श्री इन्द्र पाण्डेय एवं कुमारी वैशाली पाटिल के निर्देशन में अखिलेश पटेल, कु. भक्ति सिंगवाने, श्रुति चौधरी, नूपुर मेहता, जाह्नवी पाथ्रडकर, श्रेया सिजारिया, आकृति जैन, साक्षी जाधव, वैशाली देशमुख, शिवांगी अग्निहोत्री, प्रज्ञा पटेल, आकृति जायसवाल, मेघा जैन, पूर्णिमा खरे, सोम्या चौधरी आदि  कलाकारों प्रस्तुत किया जायेगा। संगीत निर्देशक श्री परशुराम पटेल द्वारा संगीत बढ किये गए नित नमन माँ नर्मदे नामक नर्मदाष्टक के बोलों को  पल्लवी थापा एवं अजिंक्य खडसन ने मधुर  स्वर दिए हैं।


प्रस्तुति-









- विजय तिवारी "किसलय"

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

नर्मदाष्टक नित नमन माँ नर्मदे के लोकार्पण अवसर के छाया चित्र


नर्मदाष्टक  'नित  नमन  माँ नर्मदे  के लोकार्पण अवसर के  छाया चित्र.  
नित नमन माँ
(नर्मदाष्टक  नित नमन माँ नर्मदे की आडियो सी डी का लोकार्पण करते हुए दायें से  सर्व प्रथम शीर्षस्थ ब्लॉगर अनूप शुक्ल (फुरसतिया ) , अष्टक रचनाकार विजय तिवारी 'किसलय', शिब्बू दादा , महंत  डॉ स्वामी  मुकुंद दास जी गुप्तेश्वर पीठ,  महान नर्मदा यात्री चित्रकार- लेखक सही अमृत लाल वेगड़, पार्षद अमरीश मिश्रा, कार्यक्रम संचालक भाई राजेश पाठक 'प्रवीण', पुत्र सुविल तिवारी, अंकित तिवारी, पत्नी  श्रीमती सुमन तिवारी.)
नर्मदाष्टक नित  नमन माँ नर्मदे को नीचे  क्लिक कर के सुनें :-









- विजय तिवारी 'किसलय'

विजय तिवारी 'किसलय' कृत नर्मदाष्टक 'नित नमन माँ नर्मदे'

 नर्मदाष्टक 'नित नमन माँ नर्मदे' को  लिखने के पीछे मेरी इच्छा  थी कि संस्कृत में लिखे  गए  
अष्टकों में  आम आदमी माँ की महिमा और  प्रताप  को  समझ ही नहीं पाता था, न ही  माँ के बारे में केवल ८ पदों में कुछ जान पाता था.  मैंने  अपने नित नमन माँ नर्मदे नामक  अष्टक में माँ नर्मदा की जीवनी में यथा संभव  पूर्णता लाने  की कोशिश की है. वैसे  माँ रेवा की  अपरम्पार  लीला को  भला कौन  जान  सकता है मेरी  माँ के चरणों में  एक  छोटी  सी भेंट है. मुझे  उम्मीद है  नर्मदा के  भक्तों को  पसंद  आएगा.

आइये इस  अष्टको  सुनते हैं :-


- विजय तिवारी 'किसलय'

शनिवार, 9 जनवरी 2010

छायाकार श्री रजनीकान्त यादव मानवतावादी और आधुनिक संवेदनाओं से भरपूर व्यक्तित्व.

दिनांक ९ जनवरी २०१० को जबलपुर के रानी दुर्गावती संग्रहालय में विख्यात छायाकार

(श्री रजनीकांत यादव)

श्री रजनीकांत यादव की "नर्मदा घाटी संस्कृति छायाचित्र प्रदेशिनी" के उदघाटन के साथ ही सम्बंधित व्याख्यान का भी आयोजन हुआ. अपने व्याख्यान में श्री यादव ने बताया की दुनिया भर में पिछले ७००० वर्ष में विकसित हुई प्रकृति पर आधारित जीवन शैलियों में नर्मदा घाटी की संस्कृति आज भी अपने स्वाभाविक रूप में देखी जा सकती है. उन्होंने नवीन तकनीकियों के दुरूपयोग और ऐसी विकास प्रक्रिया पर चिंता जाहिर की जिस से आम आदमी को राहत और फायदा न मिले. उन्होंने आगे बताया कि बड़े बड़े बांधों से सिंचाई और विद्युत उत्पादन में हुई वृद्धि से आज तक न ही अनाज सस्ता हुआ और न ही विद्युत ही सस्ती मिली . राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने छाया चित्रों की प्रदर्शनी, डाक्यूमेंट्री फिल्मों और समाचार पत्रों के माध्यम से अपनी पहचान स्थापित कर चुके श्री रजनीकांत यादव ने लोक संस्कृति और बैगा- आदिवासियों पर भी काम किया है.
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अंतर राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त साहित्यकार श्री ज्ञानरंजन जी ने श्री यादव को मानवतावादी और आधुनिक संवेदनाओं से भरपूर व्यक्तित्व की संज्ञा दी. उन्होंने कहा कि जब श्री यादव की किताबें खण्डों में प्रकाशित होंगी तब लोग ग्राम्यांचल, आदिवासियों सहित नर्मदा तटीय संस्कृति-परम्पराओं से अवगत होंगे


कार्यक्रम में अमृत लाल वेगड़, डॉ. कृष्णकांत चतुर्वेदी, हनुमान वर्मा, श्याम कटारे, कामता सागर, रामशंकर मिश्र, ओंकार ठाकुर, रमेश सैनी, डॉ. विजय तिवारी "किसलय", सूरज राय सूरज, सुधीर पाण्डेय, अरुण पाण्डेय, बसंत काशीकर, शक्ति प्रजापति, सुशांत दुबे, सच्चिदानंद शेकटकर आदि नगर के गण्यमान लोग उपस्थित थे। प्रगतिशील लेखक संघ के इस आयोजन में श्री राजेन्द्र दानी , श्री अरुण यादव और श्री पंकज स्वामी का विशेष सहयोग रहा.
- विजय तिवारी " किसलय "

सोमवार, 9 नवंबर 2009

ऐसी हैं पुण्य सलिला माँ नर्मदा -- दूसरा भाग







धुआँधार
 जल प्रपात 
के  पहले  







धुआँधार
दृश्य








धुआँधार
दृश्य










धुआँधार

दृश्य



 



धुआँधार

दृश्य



 





धुआँधार
दृश्य



 






धुँआधार
दृश्य



 







 धुँआधार
दृश्य



 











धुँआधार से  आगे  की ओर




लम्हेटा घाट दुर्लभ भूगर्भीय  " लम्हेटाईट " चट्टानें .

श्री अरुण यादव, इंजी. सुधीर पाण्डेय, विजय तिवारी " किसलय "
----------------------------------------------------------------
दिनांक ८ नवम्बर २००९ को इंजिनियर सुधीर पाण्डेय "व्यथित" , कहानीकार श्री अरुण यादव और मैंने जबलपुर , मध्य प्रदेश के पावन तट लम्हेटाघाट से विश्व प्रसिद्ध जल प्रपात धुआँधार तक नर्मदा के किनारे किनारे पैदल चल कर पुण्य सलिला माँ नर्मदा के दर्शन कर जो तृप्ति प्राप्त की है उसका वर्णन तो यहाँ कर पाना असंभव है, लेकिन मैंने नर्मदा के सौन्दर्य को अपनी स्मृति में संजोया है , उन में से कुछ चित्रों को आप सब को अवश्य बताना चाहूँगा, ताकि आप भी माँ के सौन्दर्य को देख कर कुछ तो आत्म संतुष्टि पा सकें. ---
- विजय तिवारी " किसलय "

रविवार, 8 नवंबर 2009

ऐसी हैं पुण्य सलिला माँ नर्मदा -- प्रथम भाग

दिनांक ८ नवम्बर २००९  को    इंजिनियर सुधीर  पाण्डेय "व्यथित" , कहानीकार श्री अरुण  यादव और मैंने  जबलपुर , मध्य प्रदेश के पावन तट लम्हेटाघाट से विश्व प्रसिद्ध जल प्रपात धुआँधार तक नर्मदा के किनारे किनारे पैदल चल कर पुण्य सलिला माँ नर्मदा के दर्शन कर जो तृप्ति प्राप्त की है उसका वर्णन तो यहाँ कर पाना असंभव है, लेकिन मैंने  नर्मदा के  सौन्दर्य को अपनी स्मृति में संजोया है , उन में से  कुछ चित्रों को आप सब को  अवश्य   बताना चाहूँगा, ताकि  आप  भी माँ के सौन्दर्य को देख कर कुछ तो आत्म संतुष्टि पा सकें. ---  














-विजय तिवारी " किसलय ", जबलपुर