नर्मदाष्टक 'नित नमन माँ नर्मदे' को लिखने के पीछे मेरी इच्छा थी कि संस्कृत में लिखे गए
अष्टकों में आम आदमी माँ की महिमा और प्रताप को समझ ही नहीं पाता था, न ही माँ के बारे में केवल ८ पदों में कुछ जान पाता था. मैंने अपने नित नमन माँ नर्मदे नामक अष्टक में माँ नर्मदा की जीवनी में यथा संभव पूर्णता लाने की कोशिश की है. वैसे माँ रेवा की अपरम्पार लीला को भला कौन जान सकता है मेरी माँ के चरणों में एक छोटी सी भेंट है. मुझे उम्मीद है नर्मदा के भक्तों को पसंद आएगा.
आइये इस अष्टको सुनते हैं :-
- विजय तिवारी 'किसलय'
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