दिनांक ८ नवम्बर २००९ को इंजिनियर सुधीर पाण्डेय "व्यथित" , कहानीकार श्री अरुण यादव और मैंने जबलपुर , मध्य प्रदेश के पावन तट लम्हेटाघाट से विश्व प्रसिद्ध जल प्रपात धुआँधार तक नर्मदा के किनारे किनारे पैदल चल कर पुण्य सलिला माँ नर्मदा के दर्शन कर जो तृप्ति प्राप्त की है उसका वर्णन तो यहाँ कर पाना असंभव है, लेकिन मैंने नर्मदा के सौन्दर्य को अपनी स्मृति में संजोया है , उन में से कुछ चित्रों को आप सब को अवश्य बताना चाहूँगा, ताकि आप भी माँ के सौन्दर्य को देख कर कुछ तो आत्म संतुष्टि पा सकें. ---
-विजय तिवारी " किसलय ", जबलपुर
3 टिप्पणियां:
Uttam
पुण्य सलिला माँ नर्मदा की चित्रमय झाँकिया आनन्ददायक रहीं।।
sir kahan hain aap,kabhi hamein bhi darshan den.
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