मंगलवार, 6 जनवरी 2009

किसलय की कुण्डलियाँ

नहीं होते ऐसे काम

सियाराम की कृपा से, मैं प्रसन्न हूँ आज
सुनी आपकी कुशलता, है मुझको ये नाज़
है मुझको ये नाज़ , आगे भी कुशल रहोगे

लिखकर चिट्ठी आप, आगे का हाल कहोगे

पत्रोत्तर में पढा ये , चल रहा आपका काम
लेखन के इस कार्य को, सफल करें सियाराम

काम आपका चल रहा, आप वहाँ हैं व्यस्त
शरद ऋतू के असर से ,हूँ जुखाम से ग्रस्त
हूँ जुखाम से ग्रस्त, सिर चकराता रहता
आप यदि होते यहाँ, कुछ मीठी बातें करता
ये सब बातें सोचता, पर तुम्हें कहाँ आराम
किसलय जी कहते यही,नहीं होते ऐसे
काम
- विजय तिवारी " किसलय "

13 टिप्‍पणियां:

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

AAJ TO LAGATAAR WAH

समयचक्र ने कहा…

badhai achchi rachana . jay shri Ram

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

mahendra bhaai
aapki aatmeeyta aur meri rachnaon ko padhne ke liye aabhaar
aapka
vijay

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

गिरीश भैया
आप सदैव मेरी रचनायें पढ़ते हैं
और उन पर विचार लिख भेजते हैं.
आपकी सक्रियता के लिये बधाई.
आपका
विजय

बेनामी ने कहा…

DR.VIJAY JI
AAP ACHCHHE KAVI HAIN
GIRISH BHAI NE BATAYA
MERE LIE UNANE EK BLOG TAYAAR KIYAA
HAI
ZAROOR DEKHIE JI

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " ने कहा…

वाह किसलय जी आपने, कुन्डली मारी खूब.
बात बात में लूट ली, वाह-वाही भी खूब.
वाह-वाही भी खूब, कई पाठ्क भी पाये.
हो सकता है कुछ मित्रों के फ़ोन भी आये.
कह साधक कविराय, मगर ना मिला विषय जी.
कुण्डली मारी खूब, आपने वाह किसलय जी.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

आदरणीय, वाकई उन दो कुंडलियों का विषय कुछ नहीं है, लेकिन आप एक बार पुनः पढेंगें (पत्रोत्तर में पढा ये , चल रहा आपका काम) तो स्पष्ट हो जाएगा कि ये कुंडली के प्रारूप में मित्र के पात्र का उत्तर मात है. , फ़िर भी मैं आपकी बात से सहमत हूँ.
वैसे मेरा ब्लॉग पढ़ कर आपकी शेष आशंकाएँ दूर हो जायेंगी

साधक जी आप का आभार .

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

आदरणीय,
माधव सिंह जी
नमस्कार
आपने मेरी प्रसंशा जरूर कि है,
लेकिन मैं उसके काबिल नहीं हूँ ,
बस लिख लेट हूँ, यही मेरी सफलता है
..

आपका ब्लॉग जरूर पढूंगा
- विजय

नीरा ने कहा…

bahut bahut achi chitti likhi hai
badhai

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

नीरा जी
अभिवंदन
आपने मेरी कुण्डलियाँ पढ़ी ,अच्छी लगी,
आभार
-विजय

Udan Tashtari ने कहा…

मित्र से वार्तालाप का माध्यम कुण्डली भी हो सकती है, आपने सिद्ध किया. अच्छा लगा पढ़कर.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

आदरणीय समीर जी
अभिवंदन
मित्र से वार्तालाप का माध्यम कुण्डली भी हो सकती है, आपने सिद्ध किया.
आपकी उक्त टिप्पणी के सम्बन्ध में तो मैं यह भी कह सकता हूँ कि
भावनात्मक संदेश प्रेषण के लिए पद्य एक सशक्त माध्यम सदैव से रहा है.
आपने मेरी कुंडलियों को पढ़कर मुझे भी सुखानुभूति कराई है
- विजय

बेनामी ने कहा…

kislay ji, kundaliya bahut achchhi hain
-ravindra awasthi