रविवार, 2 नवंबर 2008

आतंकवाद

लूटकर

चैन

हड़पकर

खुशियाँ,

आतंकवादी

बढ़ रहे हैं ---

और

हम हैं कि

शान्तिमार्ग

पर

चल रहे ....

- विजय तिवारी ' किसलय '

4 टिप्‍पणियां:

बवाल ने कहा…

हाँ हाँ पंडितजी आपको भूल ही जाते हैं यार. पता नहीं कहाँ कोने में छुप जाते हो दीखते नहीं और लिखते इतना सुंदर सुंदर हो. बस मिश्रा जी को दिखा कर छुपा लेते हो. है ना. ऐसे काम नहीं चलेगा. समीरलाल से थोड़े टिप्स ले डालो किसलय साहब और परचमे जबलपुर को बुलंद करो. सदा आपके साथ.
---आपका बवाल

Vivek Gupta ने कहा…

बहुत सुंदर

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

VIVEK JEE
NAMASKAAR
RACHNA PADHNE KE LIYE AABHAAR

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

BAVAAL JEE
NAMASKAAR
SHUKRIYA , AAPKI ABHIVYAKTI AUR APNEPAN KE LIYE,

SNEH BANAYE RAKHEN

AAPKA
VIJAY TIWARI KISALY