मंगलवार, 4 नवंबर 2008

मानवता का धर्म


किसलय जग में श्रेष्ठ है ,

मानवता का धर्म;

अहमत्याग कर जानिए ,

इसका व्यापक मर्म ......

- किसलय

5 टिप्‍पणियां:

Girish Kumar Billore ने कहा…

NICE

Himwant ने कहा…

जहां धर्म को नाम दिया वह एक रुढी, परम्परा और सम्प्रदाय मे रुपांतरीत हो जाएगा । आप आज अपने धर्म को "मानवता का धर्म" कहिए कल आपके अनुयायी उसे एक सम्प्रदाय बना लेंगें। और फिर झगडेंगें अपनी संख्या बढाने के लिए, हिंसा करेगी लोगो को धर्मांतरीत करने के लिए। यही हुआ है बुद्ध के साथ, ईसा के साथ, मुहम्मद के साथ, नानक के साथ, महाबिर के साथ । धर्म को किसी व्यक्ति के नाम के साथ जोडते हीं वह ठहर जाता है - उसकी जिवंतता नष्ट हो जाती है।

महेंद्र मिश्र.... ने कहा…

अहमत्याग कर जानिए
इसका व्यापक मर्म ......
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति. आनंद आ गया.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

bade bhaiyaa mahendra jee aur girsh ko dhanywaad,
mahendra bhaai achchha lagta hai jab aap mujhe niruddesheey tippaniyan na bhej kar sakaratmak tippani preshit karte hain

aapka aabhaari hoon
vijay

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

जहां धर्म को नाम दिया वह एक रुढी, परम्परा और सम्प्रदाय मे रुपांतरीत हो जाएगा । आप आज अपने धर्म को "मानवता का धर्म" कहिए कल आपके अनुयायी उसे एक सम्प्रदाय बना लेंगें। और फिर झगडेंगें अपनी संख्या बढाने के लिए, हिंसा करेगी लोगो को धर्मांतरीत करने के लिए। यही हुआ है बुद्ध के साथ, ईसा के साथ, मुहम्मद के साथ, नानक के साथ, महाबिर के साथ । धर्म को किसी व्यक्ति के नाम के साथ जोडते हीं वह ठहर जाता है - उसकी जिवंतता नष्ट हो जाती है।

bhaai himwant
namaskar
aapka chinta karna , aapke vyaktitv ke prakaar ko batata hai, ki aap ek chintan sheel vyakti hain. achchha laga.
lekin yaha mera uddeshy kisi dharm se na ho kar manav ko manavta ke prati jagruk karne ke liye tha,, fir manthan se hi to amrit nikalta hai, ath aapka manthan karna ek dam sahi hai

aapkaa

vijay