गुरुवार, 3 अप्रैल 2008

दोहा श्रृंखला

किसलय के दोहे :-
एतवार कर परखिये , जिन पर हो संदेह
शायद इस बर्ताव से, जीत सकें मन गेह ॥
काबू रख निज क्रोध पर, दिल सबके लो जीत
नम्र भाव से जगत में, रचो प्रेम के गीत ॥
सदा भले लगते नहीं, सीख और उपदेश
नाप-तौल कर बोलिए,देख समय, परिवेश॥
शिशु क्या जाने कौन है, ईसा, राम, रहीम
सीख-सीख कर ही बनें , शिल्पी, कवि, हकीम॥
मानवीय संवेदना, परहित, जन-कल्यान
बंधुभाव और प्रेम ने, जग से किया प्रयाण॥
गर्मी गर आती नहीं , मेघ बनाता कौन
इस छोटे से प्रश्न पर, क्यों होते हो मौन॥
संस्कार , विद्या, विनय, सीखे जो इंसान
कभी न भटके दर-ब-दर, बनता सदा महान॥
गाँवों की संध्या सहज, चंचल होती भोर
आपस में रिश्ते घने, नेह झरे चहुँ ओर॥
अज्ञानी के निकट धन,ज्ञानी के घर झूठ
खल बलशाली बने तो, सुख जाएगा रूठ ॥
देशभक्ति की भावना , जन्मभूमि का मान
ऐसी शिक्षा दीजिये, बढे राष्ट्र की शान ॥
उतने स्वप्न संजोइए जितने हों साकार /
नाकामी को देखकर , होता दिल बेजार //
- किसलय, जबलपुर

7 टिप्‍पणियां:

Girish Kumar Billore ने कहा…

काबू रख निज क्रोध पर , दिल सबके लो जीत ।
नम्र भाव से जगत में, रचो प्रेम के गीत.
आपके विचारों में शांत प्रवाह नज़र आ रहा है

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर बधाई
kripya hindi blaag ko dekhane ka kasht kare
http://safalprahri.blogspot.com

Dr SK Mittal ने कहा…

शब्दों की महिमा
शब्द
ना होता महाभारत अगर द्रौपदी चुप रही होती
सीता ना हरी जाती अगर सुपरंखा बहरी हो गयी होती ।।

राम को बनवास नहीं होता अगर दशरथ ने शब्द नहीं दीये होते
कृष्ण आज गवाले होते अगर देवों के शब्द कंस को नहीं सुने होते ॥

शब्दों की महिमा बड़ी अहम् है,
पार ना पा सका इस से कोई ब्रह्म है
कल ही हमने देखा, गलत शब्दों पर
मायावती ने टिकैत की शक्ति का तौडा भरम है

मन्त्र शक्ति किसे नहीं मालुम शब्दों का जाल है
देवों को जो बुला सके यह शब्दों का ही कमाल है

यह शब्द ही हैं जो कराते दोस्ती
गलत शब्दों बोलोगे तो टूट सकती है खोपडी

गुरुजनों के शब्दों से स्वर्ग बनता है जीवन
प्रेमिका के मीठे शब्दों की याद में बीत जाता है सारा जीवन

घर पहुँचते ही सुनता है बच्चों की किलकारी को
या माता के मीठे शब्दों को या पत्नी प्यारी को

आज की राजनीति में इसका विशेष महत्त्व है
पांच साल की गद्दी का गूढ़ रहस्य है
बोलो, वादा करो वादे पर जीतो
फीर पांच साल बाद चुप्पी तोड़ो, गुमराह करो या गद्दी छोडो

सब शब्दों का जंजाल है. माँ के शब्दों का कमाल है
प्रेम से बोलो जय माता की, यह तो उस ही का मायाजाल है

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

आदरणीय मित्तल जी
नमस्कार
वाकई शब्दों की महिमा महान है.
यह शब्द ही हैं जो कराते दोस्ती
गलत शब्दों बोलोगे तो टूट सकती है खोपडी

बहुत अच्छा लिखा है आपने.
बहुत ,बहुत धन्यवाद.


किसलय

Dr SK Mittal ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Dr SK Mittal ने कहा…

माँ ... तेरी ... यादें .. . माँ की प्यारी सूरत

मुझको याद अब भी अक्सर ऐसा होता था
वह गर्मी की राते और बत्ती गुल
एक पंखा बीना रुके उसके हाथो में चलता था
वो जागे सारी राते मैं उसकी नींदे सोता था .
.....................................................
हर माँ की येही है कहानी
आँचल में दूध और आंखों में पानी
बहुत खूब तुम्हे आपनी माँ का त्याग आज भी याद है
गर्मी की राते, गुल बत्ती, बीना रूके उसके हाथ में झलता पंखा, तुम्हारा भाग है
उसका जागना, तुम्हारा चैन से सोना उसकी नींद नहीं हर माँ की बीती रात है

एक स्वेटर पुराना, अभी मुझे बहुत प्यारा
हजारो धुलाई चुरा ना सकी,उसके हाथो की खुशबु
वो स्वेटर बुनती ऐसे, ख्वाब बुनती हो जैसे



जब से तुझे देखा है माँ , मुझे भगवान भी भूल गए
तुने मुझे जन्म दीया , मेरी बीबी और उसके घरवाले भूल गए

आज भी छुपक मैं, बंद करके कमरा, अलमारी खोलता हूँ
वोह तेरा बुना स्वेटर, समेटे तेरे हाथों की खुशबू, उसे बार बार सुंघ्ता

मुझे याद है माँ वोह बड़ा मुश्कील जमाना,
पीताजी का देर रात को थका हुआ घर आना.
तुझे सारे दीन का दुखडा सुनाना और तेरा उन्हें ढाढस बंधाना.

दीन में पूरे मोहल्ले के स्वेटर बुनना..
जैसे फूलों का चुनना ,
ख्वाबों का बुनना
और उसमे से मेरे इस्ही स्वेटर को चुनना
यह मेरी जिन्दगी का सबसे प्यरा तोहफा है
धुल्चुका हजारों बार फीर भी चौखा है .

इसे पहीनता हूँ तो तेरी याद आती है
बंद कमरे से मैं अकेला नहीं तेरी खुशबू भी साथ जाती है

Dr SK Mittal ने कहा…

इंसान या हैवान ...........

डरना है तो आदमी से डरो आदमी और इंसान में
कुछ तो फर्क करो.
आदमी को देखा है अक्सर शैतान होते
मगर इंसान कभीहैवान नहीं होता. कभी हैवान नहीं होता.
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जीसमे दम हो उसे कहते है आ दम ई
आदम और हौवा की कहानी बहुत पुरानी है
इंसान हैवान क्यों बना यह भी सबकी जबानी है

मीत्र, इंसान और आदमी में थोडा ही फर्क होता है
जैसे सुबह पुजारी, रात को प्यार का भीखारी,
माँ के सामने बेटा , बेटे के सामने बाप होता है
वैसे ही आदमी हैवान और इंसान दोनो के रूप धरता है

भेड की खाल में भेडिया यानी
इंसान के लीबास में सैतान आता है

विनम्रता, दया, करुणा,प्रेम,शांती,भक्ती
इंसान की पहीचान है
हवस, मद, मोह, लोभ, इरषा, क्रोध,
इंसान को बनाते हैवान है

स्वंतुस्टी, परनींदा, प्रलोभ, परनारी, परधन, झूट, मक्कारी, कभी इंसान नहीं बनाते.
अपने अवगुण, पर्गुण, प्रभु भक्ती, सत्य, त्याग, दान, आदी इंसान को भगवान् से मीलाते

तुम खुद ही सोचो तुम कौन हो इंसान या हैवान