हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर
HINDI SAHITYA SANGAM JABALPUR, MP, INDIA
शुक्रवार, 14 नवंबर 2008
नन्ही परियाँ
अपने मन की,
बात बतायें
परीलोक में,
हम चढ़ जाएँ
लायें वहाँ से,
नन्ही परियाँ
देख जले फिर,
सारी दुनिया
हम परियों के,
साथ में खेलें
अम्मा-दीदी,
रोटियाँ बेलें
भूख लगे तब,
घर पर आयें
साथ बैठकर,
खाना खायें
संध्या को वे,
गाना गायें
थपकी देकर,
हमें सुलायें
- विजय तिवारी " किसलय
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