कल ईमानदारी और भ्रष्टाचार पर लम्बी-लम्बी
बातें करने वाले कुछ कार्यालयीन मित्रों में आज
किसी प्रकार का परिवर्तन दिखाई नहीं दिया ।
उन में से कोई निजी कार्यवश बाहर गया था ।
कोई गपशप में व्यस्त था अथवा कार्यालयीन
कार्य को छोड़ अन्य कार्य में व्यस्त था ।
शायद सही कहा गया है - रात गई-बात गई ।
- विजय तिवारी ' किसलय '
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