रविवार, 19 अप्रैल 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र. ५१ ]

अपराधी निर्भीक हो,
घूमें सकल जहान
निर्दोषी हों जेल में,
कैसा दंड-विधान ... ?

- विजय तिवारी ' किसलय '

4 टिप्‍पणियां:

Girish Billore Mukul ने कहा…

विधि विधान सब ठीक ह्वै, राजनीती बलवान
हंसा चाबी मूंग उड़द, कागन को पकवान

श्यामल सुमन ने कहा…

सब कुछ चलता है यहाँ भारत बड़ा महान।
जनसेवा को छोड़कर कुर्सी बनी प्रधान।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

naresh singh ने कहा…

इसी को कहते है मेरा भारत महान ।

hem pandey ने कहा…

यही है भारत की पहचान.