मंगलवार, 1 मई 2012

स्व.ओंकार ठाकुर ने अपनी साहित्यक सुगंध देश-देशान्तर तक फैलाई- ज्ञानरंजन

जबलपुर । स्व. ओंकार ठाकुर ने अपनी साहित्यिक सुंगध देश-देशान्तर तक फैलाई। उथल पुथल भरे सातवें दशक तक समाचार पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित स्व. ठाकुर का विज्ञान लेखन श्रेष्ठ एवं राष्ट्र स्तरीय माना जाने लगा था । अपने साहित्यिक अवदान से उन्होंने जबलपुर का नाम भारतवर्ष के मानचित्र पर पहुँचाया तदाशय के उद्गार साहित्यकार, कथाकार, उन्पन्यासकार, शिक्षाविद् स्व. ओंकार ठाकुर के श्रद्धांजलि कार्यक्रम के अवसर पर श्वेताम्बर जैन मंदिर सभागार में ज्ञानरंजन जी ने व्यक्त किए ।

स्व. श्री ओंकार ठाकुर (१५अप्रेल १९३३ से २६ अप्रेल २०१२ )
स्व. ठाकुर के परममित्र निर्मल भूरा ने कहा कि सरल, सहज एवं धर्ममय ओंकार भाई ने जीवन भर मित्रता का सही मायने में निर्वहन किया। उनका चला जाना मेरे लिए अत्यन्त व्यथापूर्ण है । निर्मल नारद ने उनसे शालेय जीवन से ही अन्तरंगता बताते हुए कहा कि उनके घर पर ही हमने मिलन संस्था का गठन किया था। डॉ. रामशंकर मिश्र ने उन्हें वैष्णव वृत्ति का कथाकार बताया तथा ठगी प्रथा पर उनके द्वारा लिखा हिंदी का प्रथम चर्चित उपन्यास पीला रूमाल की चर्चा की। भगवतीधर बाजपेयी ने कहा कि स्व. ओंकार ठाकुर जैसे उत्कृष्ट साहित्यकार का समग्र साहित्य शासन द्वारा संरक्षति किया जाना चाहिये ताकि आने वाली पीढ़ी लाभान्वित हो सके । रमेश सैनी ने उन्हें कहानी मंच का आधार स्तम्भ एवं मार्गदर्शक बताया विजय तिवारी ‘किसलय’ ने उनकी उपलब्धियाँ गिनाते हुए उन्हें विशुद्ध साहित्यकार एवं सच्चे इंसान की संज्ञा दी । डॉ. राजकुमार सुमित्र ने उनके विज्ञान सम्मत लेख एवं उत्कृष्ट संपादकीय लेखन की चर्चा की । भागचंद टाटिया ने उन्हें अहिंसावादी एवं अपरिग्रही इंसान बताया। शीतलनाथ भक्ति मण्डल के संदीप भूरा ने उन्हें मण्डल का मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि स्व. ओंकार ठाकुर प्रोत्साहित करने में कमी नहीं करते थे।


श्रद्धांजलि सभा में डॉ.  मलय, डॉ. कुंदनसिंह परिहार, ओंकार श्रीवास्तव, इंजी.संतोष तिवारी, कामता सागर, श्याम मोहन दुबे, हरि भटनागर आदि ने भी भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी । महेश दोषी के वृहद शांति पाठ के उपरान्त स्व. ठाकुर के चित्र पर पुष्पांजलि एवं दो मिनिट मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की गई ।


रमाकांत ताम्रकार, राजीव गुप्ता, विजय ठाकुर, निर्मल भूरा जी,
राजेन्द्र सिंह ठाकुर, द्वारका गुप्त,रमेश सैनीएवं विजय तिवारी "किसलय"
राजेश पाठक द्वारा संचालित शोकसभा में रमाकान्त ताम्रकार, राजीव गुप्ता, बसंत मिश्रा, पंकज स्वामी, राजेन्द्र दानी, कुँवर प्रेमिल, मो.मुइनुद्दीन अतहर, प्रदीप शशांक, अरुण यादव, रमाकान्त गौतम, आनंद कृष्ण, शिब्बू दादा, द्वारका गुप्त, धीरेन्द्र बाबू खरे, अरविंद गुप्ता, गुरुनाम सिंह रीहल, अशोक सोंधिया, वीरेन्द्र चौरड़िया, मनीष मेहता, राजेन्द्र पौरिया, सुरेश डागी, शरद गोलछा, ज्ञान गोलछा, सुधीर संचेती सहित परिवार के विजय ठाकुर, दिशांत ठाकुर, राजेन्द्र सिंह ठाकुर एवं नगर के अनेक स्नेही-स्वजन उपस्थित रहे।

प्रस्तुति:-
विजय तिवारी "किसलय"


1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

आदरणीय किसलय जी
आपका ब्लॉग देखा. बहुत अच्छा लगा.
स्वर्गीय ओंकार ठाकुर जी को
मेरी भी विनम्र श्रद्धांजलि.
-अरुण यादव, जबलपुर