सोमवार, 7 नवंबर 2011

बेटी बचाओ अभियान के चलते ५८७ पृष्ठीय काव्य रचना "बेटे से बेटी भली" के रचयिता श्री मोहन शशि जी से भेंट वार्ता


          ०१ अप्रेल १९३७ को जन्मे आदरणीय श्री मोहन शशि जी संस्कारधानी जबलपुर के वरिष्ठ पत्रकार एवं अग्रणी साहित्यकार हैं. अपनी स्थापना की स्वर्णिम वर्षगाँठ मना चुकी सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था "मिलन" के सूत्रधार (मिलन के प्राण कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ) की प्रकाशित कृतियाँ:- सरोज-१९५६, तलाश एक दाहिने हाथ की- १९८३, राखी नहीं आई- १९८५, हत्यारी रात, शक्ति साधना-१९९२,  दुर्गा महिमा- १९९५, अमिय-१९९७-९८ हैं एवं १० नवम्बर २०११ को बेटे से बेटी भली 
५८७ पृष्ठ लम्बी छंद मुक्त कविता (गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड में पंजीबद्ध होने योग्य) की पुस्तक का विमोचन होने जा रहा है. विमोचन अवसर पर राष्ट्र स्तरीय नेताओं, अधिकारियों, कलाकारों एवं साहित्यकारों की उपस्थिति चिरस्मरणीय रहेगी.
      बचपन से ही निर्भीक , स्वाभिमानी एवं जिज्ञासु प्रवृत्ति के शशि जी को जब राजनीति से ज्यादा साहित्य एवं पत्रकारिता ने प्रभावित किया तो उनकी लेखनी ने आज तक विराम नहीं किया. देश - विदेश की यात्राओं, आँखों देखा जगत एवं अपने अनुभवों का निचोड़ सदैव इनकी रचनाओं एवं पत्रकारिता के माध्यम से समाज के सामने आता रहा है.





         पारिवारिक तथा सामाजिक परेशानियों एवं हृदयाघातों के चलते जीवन पथ पर अविराम- अपराजेय की भूमिका में ही सदैव आपके दर्शन हुए.  ज्यों - ज्यों परेशानियों ने मार्ग अवरुद्ध करना चाहा, आपका हौसला कम होने की बजाय और बढ़ता गया. ७५ साल की उम्र में भी रोजाना दैनिक भास्कर के दफ्तर जाना और आना. अवकाशों एवं रात्रि के एकांत में एक ऐसे जूनून ने जन्म लिया जो ५८७ पृष्ठ की छंद मुक्त कविता लिखने के बाद शांत हुआ सा प्रतीत होता है, मगर श्री शशि जी के अनुसार वो इस कविता को और आगे  जारी रखना चाहते हैं. बातों ही बातों में उन्होंने  बताया कि 
मुझे इसकी प्रेरणा कोई अज्ञात  शक्ति ने दी है  और  मैं  इसे  आगे  भी लिखने का इच्छुक हूँ.
                इस  ५८७ पृष्ठीय काव्य रचना "बेटे से बेटी भली" के रचयिता श्री मोहन शशि जी से विमोचन पूर्व  आज दिनांक ६ नवम्बर २०११ को इस कृति से  सम्बंधित भेंट वार्ता की तो  कुछ अनछुए  पहलू भी सामने आये और  हमने देखा  कि उनकी ओजस्विता  में भी  कमी नहीं  दिखाई दी.
आईये  हम  उनसे ली गयी भेंट  वार्ता दिखाते हैं
कृपया वीडियो  प्ले आइकान  पर  क्लिक करें  और  वार्ता का आनंद लें:-


प्रस्तुति:-













-विजय तिवारी "किसलय"




4 टिप्‍पणियां:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

विलक्षण प्रतिभा के स्वामी श्री मोहन शशि जी से की गयी बात को हम तक पहुँचाने का शुक्रिया.



नीरज

बसंत मिश्रा ने कहा…

आदरणीय विजय "किसलय" जी वार्ता के लिए बधाई ,आपको याद दिलाना चाहता हू कि श्री शशि दादा जी का एक और कविता संग्रह १९९७-९८ में " अमिय " प्रकशित हुआ था जिसका संपादन हम सबके अभिन्न मित्र श्री राजेश पाठक जी ने किया था पोस्ट में जोड़ने का प्रयास करें. एक बार पुनः बधाई

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

मिश्र जी
सबसे पहले टिप्पणी के लिए आभार .
पोस्ट में "अमिय" कविता संग्रह का नाम जोड़ दिया गया है.
- विजय तिवारी "किसलय "

Udan Tashtari ने कहा…

आभार आद. मोहन शशि जी से वार्तलाप को हम तक पहुँचाने का एवं उनकी इस सामाजिक कृति की जानकारी देने का.