रविवार, 10 अप्रैल 2011

हरेराम नेमा 'समीप' फरीदाबाद के सम्मान में आंचलिक साहित्यकार परिषद जबलपुर की काव्य गोष्ठी संपन्न.

 विगत दिनों फरीदाबाद से जबलपुर प्रवास पर पधारे वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरेराम नेमा 'समीप' के सम्मान में आंचलिक साहित्यकार परिषद जबलपुर की काव्य गोष्ठी आचार्य भगवत दुबे की  अध्यक्षता,  ओंकार श्रीवास्तव  के मुख्य आतिथ्य    एवं  प्रो. राजेंद्र तिवारी 'ऋषि' तथा शिवलाल पाठक द्वय के विशिष्ट आतिथ्य में संपन्न हुई.         

(श्री समीप जी)
शिव अर्चना के पश्चात काव्य गोष्ठी का प्रारम्भ विजय नेमा अनुज के काव्य पाठ से हुआ. विजय तिवारी 'किसलय', मेराज जबलपुरी, प्रमोद तिवारी मुनि, सुभाष जैन शलभ, अभिमन्यु जैन, दीपक तिवारी, शिवलाल पाठक ने अपनी अपनी रचनाओं से गोष्ठी को ऊँचाईयाँ प्रदान  की. मंचासीन प्रो. राजेंद्र तिवारी 'ऋषि' के कृष्ण लीला पर समर्पित बुन्देली मुक्तकों ने गोष्ठी को कृष्णमय बना दिया.

                    तत्पश्चात गोष्ठी के केंद्र बिंदु  श्री हरेराम नेमा 'समीप' ने अपने दोहे और  ग़ज़लों से समाज की विद्रूपता की ओर ध्यानाकर्षित किया और सार्थक दोहों से एक साहित्यकार के उत्तरदायित्व का निर्वहन किया. उनके अग्रांकित दोहे ने सर्वाधिक  वाहवाही और  तालियाँ बटोरी-

फिर 'निराश-मन' में जगी,  'नवजीवन' की आस .

चिड़िया    रोशनदान पर,   फिर    ले आई    घास..


(ओंकार श्रीवास्तव द्वारा शिवपूजन)


(श्रीयुत हरेराम नेमा 'समीप' द्वारा शिवार्चन)



(श्री ओंकार श्रीवास्तव, श्री हरेराम नेमा 'समीप' एवं आचार्य भागवत दुबे जी)


काव्य गोष्ठी की  अध्यक्षता कर रहे  आचार्य भगवत दुबे ने भी अपने दोहों और  रचनाओं से गोष्ठी को शिखर पर पहुँचाया. गोष्ठी का संचालन दीपक तिवारी एवं आभार प्रदर्शन  प्रो. राजेंद्र तिवारी 'ऋषि' ने किया.  गोष्ठी में रमाकांत गौतम, बी एस दीवान विशेष रूप से उपस्थित रहे.


प्रस्तुति:-

 


-डॉ. विजय तिवारी "किसलय"

7 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

बहुत बढिया आयोजन और उसकी रिपोर्ट्…………आभार्।

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छा लगा रिपोर्ट पढ़ कर....


फिर 'निराश-मन' में जगी, 'नवजीवन' की आस .
चिड़िया रोशनदान पर, फिर ले आई घास..


-आनन्द आ गया दोहा पढ़कर..अब सुनते देखते हैं विडियो. आपका आभार.

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

आपकी प्रतिबद्धता का कायल हो गया हूं
नेमाजी सहित सभी को विनत सम्मान

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

और महावीर के चरणों में समर्पित ये
हन हनुमतये नम:
___________
हन हनुमंत दुष्ट दलन को
लाज़ रखो निर्बल जन मन को !
कुंठित दुष्ट क्रूर अग्यानी-
सुन कापैं तुम्हरी जस बानी..!
जो नारकी दिये दु:ख मोही-
राम की सौं मत तज़ियो सो ही .
मो सम भाग हीन तुम नाथा-
तुम संग जीत गयहुं जुग सा..!!

Richa P Madhwani ने कहा…

you can read shayari-sms-jokes http://shayari10000.blogspot.com

बवाल ने कहा…

बधाई हो तिवारी जी आपको इस काव्य गोष्ठी के सफल आयोजन के लिए।

basant mishra ने कहा…

badhai bajpai ji ko,
dukh vyakta karta hoo aashutosh ji ke nidhan par.
maine shrivastava ji ke sath barela college ki opening ke samya kam kiya tha vo bahut achhe insan thie
basant mishra jabalpur