गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

श्रेष्ठ विचारों के संवाहक श्री ओम कोहली को स्वर्गीय हीरा लाल गुप्त स्मृति समारोह में "सव्यसाची प्रमिला बिल्लोरे पत्रकारिता सम्मान " से अलंकृत किया जाना निश्चित रूप से पत्रकारीय मूल्यों को सम्मान देना है-- विजय तिवारी " किसलय"

श्री ओम कोहली, सम्पादक डीजी केबल जबलपुर

इंसान पैदा होता है. उम्र के साथ वह अपनी एक जीवन शैली अपना कर निकल पड़ता है अपने जीवन पथ पर वय के पंख लगा कर. समय, परिवेश, परिस्थितियाँ, कर्म और योग-संयोग उसे अच्छे-बुरे अवसर प्रदान करता है. इंसान बुद्धि और ज्ञान प्राप्त कर लेता है परन्तु विवेक उसे उसके गंतव्य तक पहुँचाने में सदैव मददगार रहा है. विवेक आपको आपकी योग्यता का आईना भी दिखाता है और क्षमता भी. विवेक से लिया गया निर्णय अधिकांशतः सफलता दिलाता है. सफलता के मायने भी वक्त के साथ बदलते रहते हैं अथवा हम ही तय कर लेते हैं अपनी लाभ-हानि के मायने. कोई रिश्तों को महत्त्व देता है कोई पैसों को या फिर कोई सिद्धांतों को. समाज में यही सारे घटक समयानुसार प्रभाव डालते हैं. समाज का यही नजरिया अपने वर्तमान में किसी को अर्श और किसी को फर्श पर बैठाता है किन्तु एक विवेकशील और चिंतन शील व्यक्ति इन सारी चीजों की परवाह किये बिना जीवन की युद्ध-स्थली में अपना अस्तित्व और वर्चस्व बनाए रखता है. शायद एक निडर और कर्मठ इंसान की यही पहचान है. समाज में इंसान यदि कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी एवं मानवीय दायित्वों का स्मरण भी रखता है तो आज के युग में यह भी बड़ी बात है. आज जब वक्त की रफ़्तार कई गुना बढ़ गयी है, रिश्तों की अहमियत खो गयी है, यहाँ तक कि शील-संकोच-आदर गए वक्त की बातें बन गयी हैं, ऐसे में यदि कहीं कोई उजली किरण दिखाई दे तो मन को शान्ति और भरोसा होता है कि आज भी वे लोग हैं जिन्हें समाज की चिंता है. बस जरूरत है उस किरण को पुंज में बदलने की और पुंज को प्रकाश स्रोत में बदलने की.

आपको आज भी इस श्रेणी के लोग मिल जायेंगे जो लगातार अपने प्रयास और कर्तव्य से समाज का मार्गदर्शन करते चले आ रहे हैं. ऐसे ही लोगों में एक नाम है वरिष्ठ पत्रकार श्री ओम कोहली का जिन्होंने अपनी सोच, मर्यादा और अपनी जीवन शैली को सुरक्षित रखा है. युवा होते ही इन्हें शब्दशक्ति का महत्त्व ज्ञात हो गया था. वे कहते हैं जैसे किसी चित्रकार को मालुम हो जाता है कि वह चित्र बना सकता है, उसी तरह उन्हें भी लगा कि वे लिख सकते हैं और फिर अध्ययन काल में ही उन्होंने लिखना शुरू कर दिया.

०७ जनवरी १९४९ को श्री जी. एम. कोहली के घर जन्में श्री ओम कोहली ने विज्ञान स्नातक तक सम्पूर्ण शिक्षा जबलपुर में ही प्राप्त की. अध्ययन के दौरान ही श्री कोहली जी ने पत्रकारिता के अपने रुझान को कार्यरूप में परिणित किया और जबलपुर से ही पत्रकारिता शुरू की. तत्कालीन दैनिक अखबार "युगधर्म" को श्री कोहली अपना प्रथम अखबार एवं प्रशिक्षण केन्द्र मानते हैं. नवभारत जबलपुर में पत्रकारिता करते करते उनके जीवन में एक ऐसा भी दौर आया जब इन्होंने निजी व्यवसाय शुरू किया और अपनी प्रिंटिंग प्रेस के साथ साथ अपना साप्ताहिक समाचार-पत्र " जबलपुर पोस्ट " भी अनेक वर्ष तक निकाला, लेकिन नियति और तात्कालिक सोच के चलते एक बार फिर जयलोक, कार्तिक टाइम्स में अपनी सेवायें देते हुए सिटी मिरर में कई वर्ष सम्पादक पद पर कार्यरत रहे. श्री कोहली वर्तमान में इलेक्ट्रोनिक मीडिया के "डीजी केबल" में संपादकत्व कर रहे हैं.

साहित्य के प्रति गहरी रुची न होते हुए भी आपने अपने पत्रकारिता जीवन के खट्टे-मीठे अनुभव और दर्द को अपनी चर्चित पुस्तक "अस्थियों की पोटली" में पाठकों के साथ बाँटने की कोशिश की है. पत्रकारीय संरचना के बदलने के बावजूद भी श्री कोहली की चाहत और भी हैं. उनके अनुसार आज भी सामान्य पत्रकार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं होता. पत्रकारिता के क्षेत्र में भी दूसरी जगहों जैसी प्रतियोगिता है. आज खबरें बेचने का दौर चल पड़ा है. इसी दृष्टिकोण ने पहले और वर्तमान की पत्रकारिता में फर्क उत्पन्न किया है .यह फर्क इलेक्ट्रोनिक मीडिया में ज्यादा दिखाई देता है. खबरों के प्रकाशन में भी भेदभाव आम बात हो गयी है. आज हाई प्रोफाईल की खबरें प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया दोनों ही सरआँखों लेते हैं. यदि संपादकों के मापदंड की बात करें तो समाज के प्रति उत्तरदायी होने की अपेक्षा कमाई देने वाला सम्पादक आज ज्यादा सफल माना जाता है. आज जब तख्वाह और सुविधाएँ बढ़ी हैं तब परिश्रम और खोजी पत्रकारिता में गिरावट के कारणों पर चिंतन की आवश्यकता है. 'खबरों की खोज की' गुम होती ललक को फिर जीवंत करने की जरूरत है. समाज की पीड़ा और परेशानियों समझने का वक्त है. आज पत्रकार जगत को अपने उत्तरदायित्व को समझना होगा और अपने विचारों से समाज को सही दिशा प्रदान करने के भी प्रयत्न करने होंगे तभी पत्रकारिता की छवि में बदलाव आ पायेगा.

आज दिनांक २४ दिसंबर २०१० को ऐसे श्रेष्ठ विचारों के संवाहक श्री ओम कोहली को स्वर्गीय हीरा लाल गुप्त स्मृति समारोह में "सव्यसाची प्रमिला बिल्लोरे पत्रकारिता सम्मान " से अलंकृत किया जाना निश्चित रूप से पत्रकारीय मूल्यों को सम्मान देना है. इस अवसर पर संस्कारधानी, पत्रकार जगत एवं हमारी अशेष शुभकामनाएँ.












- विजय तिवारी " किसलय "

3 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

हमारी भी हार्दिक शुभकामनाएं .

shikha varshney ने कहा…

गिरती पत्रकारिता का यह वाकई एक उठता हुआ कदम है ..बहुत शुभकामनाये.

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

बधाई स्वीकारें !
नव वर्ष 2011 की अनेक शुभकामनाएं !