शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

दोहा शृंखला (दोहा क्रमांक-९२)

द्रवित
दृगों की
देहली,
र्देदिल
दुश्वार.
दुखदायी ये
दूरियाँ,
स्तक
देतीं
द्वार..












- विजय तिवारी 'किसलय'

1 टिप्पणी:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सीमित शब्दों हृदयस्पर्शी बात .....