हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर
HINDI SAHITYA SANGAM JABALPUR, MP, INDIA
शुक्रवार, 14 जनवरी 2011
दोहा शृंखला (दोहा क्रमांक-९२)
द्र
वित
दृ
गों की
दे
हली,
द
र्देदिल
दु
श्वार.
दु
खदायी ये
दू
रियाँ,
द
स्तक
दे
तीं
द्वा
र..
- विजय तिवारी 'किसलय'
1 टिप्पणी:
डॉ. मोनिका शर्मा
ने कहा…
सीमित शब्दों हृदयस्पर्शी बात .....
15 जनवरी 2011 को 5:38 am बजे
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
सीमित शब्दों हृदयस्पर्शी बात .....
एक टिप्पणी भेजें