संजय की दिव्यदृष्टि के बारे में हम सभी जानते हैं कि उन्होंने धृतराष्ट्र को घर बैठे महाभारत का आँखों देखा हाल सुनाया था. द्वापर के बाद हम कहें कि वर्तमान उससे भी आगे बढ़ चुका है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. आदिकाल से जिज्ञासु प्रवृत्ति वाला मानव कल्पनाओं को साकार करने शाश्वत क्रियाशील रहा है. किस्सागोई, लेखन, प्रिंटिंग, रिकार्डिंग और दृश्यांकन से प्रारम्भ होकर आज हम ऑनलाइन, अपने अधिकांश कार्यों का सम्पादन करने में सक्षम हैं. चार-पाँच दशक पूर्व कल्पना से परे अविष्कार आज अनपढ़, मजदूर और ग्रामीणों को भी सहज सुलभ होते जा रहे हैं. विकास और त्वरण की क्रांति आँधी-तूफ़ान से तेज चल रही है. सन्देश एवं साहित्य का आदान-प्रदान ध्वनियों, चित्रों और लिपियों से प्रारम्भ होकर आज अंतरजाल की दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है. अंतरजाल तकनीकी अब तक ज्ञात सर्वाधिक विकसित सुविधा प्रणाली है. विश्व की विभिन्न भाषाओं के साथ ही इसका हिंदी में भी प्रचलन बढ़ा है. इस बहुआयामी अंतरजाल तकनीकी से हमारा साहित्य एवं पत्रकार जगत भला कैसे पीछे रहता. आवश्यकतानुसार शनैः शनैः अंतरजालीय उपकरणों एवं साफ्टवेयर्स के माध्यम से आज हम किसी से कम नहीं हैं. अंतरजाल की सहायता से शुरू हुई ब्लागिंग आज निश्चित रूप से संचार क्रांति की विशेष उपलब्धि है. साहित्य, संदेश, समाचार, वार्तालाप, जानकारियाँ, नवीन अविष्कार, त्वरित प्रसारण के साथ-साथ कांफ्रेंसिंग जैसी सुविधाएँ की-बोर्ड की चन्द बटनों के दबाते ही आपकी स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाती हैं. आज इन्हीं सारी सुविधाओं से परिपूर्ण हमारे हिन्दी ब्लॉगर्स त्वरित गति से विश्व में अपनी पहचान कायम कर चुके हैं. आज विश्व का अधिकांश जनसमुदाय भले ही अंतरजालीय सुविधा से वंचित हो परन्तु ब्लॉग्स, ई-मेल और नेट बैंकिंग जैसी सुविधाओं की जानकारी रखता है. आज विश्व में ब्लॉग्स और उनके पाठकों की बढ़ती संख्या इस विधा की सफलता के प्रमाण हैं. दो दशक पहले और आज के परिवेश में आमूल चूल बदलाव आ चुका है. आज देश, प्रदेश, शहर और कस्बाई स्तर पर भी ब्लागिंग के चर्चे होने लगे हैं. ब्लागर्स की बढ़ती संख्या और उसकी लोकप्रियता आज किसी से छिपी नहीं है. ब्लाग के जन्म और उसकी विकास यात्रा जो हम देख रहे हैं ये मात्र पड़ाव हैं, मंजिल नहीं. मंजिल तो हमारे द्वारा तैयार किए जा रहे आधार और तय की गई दूरी के बाद ही मिलेगी. आज हम जिस मंजिल की कल्पना कर रहे हैं वह तभी प्राप्त होगी जब हमारा आधार मजबूत होगा. यहाँ पर इसी आधार को मजबूत बनाने के लिये ब्लागिंग कार्य शाला का आयोजन किया गया है. ब्लागर्स जानते हैं कि इलाहाबाद, छत्तीसगढ़, वर्धा और दिल्ली में ' ब्लॉगर्स संगठन एवं इसके प्रचार-प्रसार हेतु आयोजित ब्लागर्स मीट ' भी इसी दिशा में उठाए आधारभूत कदम हैं. आज जब संस्कारधानी जबलपुर में ब्लागिंग पर चर्चा हो रही है तब ब्लागिंग के स्वरूप, प्रस्तुति, मर्यादा और आचार-संहिता पर भी चिन्तन और वार्तालाप जरूरी है.
आज मैं चन्द छोटे-छोटे किन्तु महत्वपूर्ण बिन्दुओं की ओर आप सभी का ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ , जिन पर अमल कर हम सकारात्मक एवं आदर्श ब्लागिंग की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं:-
1. आज अनेक ब्लागर बन्धुओं ने ब्लागिंग को ‘चौराहे की चर्चा’ तक सीमित कर रखा है जबकि ये व्यक्तित्व, कृतित्व एवं सामाजिक सरोकारों की अभिव्यक्ति का विशाल मंच तथा हमारे सर्वांगीण विकास का माध्यम बन सकता है.
2. छोटी-छोटी अनुपयुक्त एवं खालिस व्यक्तिगत बातें, स्वार्थपरक वक्तव्य, वैमनस्यतापूर्ण आलेख तथा टिप्पणियों से बचने के साथ ही इन्हें बहिष्कृत भी करना होगा.
3. वाह-वाह, बहुत खूब एवं अतिसुन्दर जैसी ‘गिव्ह एण्ड टेक’ वाली टिप्पणियों से परहेज करना होगा तथा दूसरों की पोस्ट पर यथासम्भव पढ़कर ही अपना अभिमत देने की मानसिकता पर बल देना होगा.
4. ब्लाग्स की वरिष्ठता के मानदण्ड छद्म पाठक नहीं पोस्ट की साहित्यिक गुणवत्ता और उपयोगिता को बनाना होगा. इससे एक ओर टिप्पणियों के बेतुके आदान-प्रदान के सिलसिले पर अंकुश लगेगा वहीं दूसरी ओर सकारात्मक लेखन को और प्रोत्साहन मिलेगा.
5. हमें अपनी ब्लागर मित्रमंडली के घेरे से बाहर निकलना होगा.
6. नव आगन्तुकों को स्नेह-आशीष के साथ ही उनके हितार्थ ‘परामर्श की कड़ी’ बनाना होगी ताकि भावी ब्लागिंग में आशानुरूप परिष्करण प्रक्रिया को दिशा मिल सके.
7. ब्लागिंग में उपयोगी जानकारी एवं सुविधाओं के प्रचार-प्रसार के लिए भी लगातार ज्ञानवर्धक एवं उपयोगी पोस्ट प्रकाशित होते रहना चाहिए.
8. बदलते परिवेश में ब्लागिंग की महत्ता देखते हुए व्यक्तिगत एवं सहकारी तौर पर ज्ञानपरक पुस्तकें प्रकाशित होना चाहिए.
9. ब्लागिंग की उपयोगिता को शासकीय एवं अशासकीय शिक्षण संस्थाओं के पाठ्यक्रमों में भी शामिल किया जाना चाहिए ताकि ब्लाग्स में निहित विभिन्न विषयों की नई-पुरानी जानकारी विद्यार्थी-शोधार्थी आसानी से प्राप्त कर सकें. साथ ही इसकी उपयोगिता एवं प्रचार-प्रसार के लिए शासन के साथ विधिवत पत्राचार किया जाना चाहिए.
10. अन्तिम बिन्दु पर विशेष ध्यान दिलाना चाहूँगा कि अब ब्लागिंग हेतु सर्वमान्य आचार संहिता का होना बहुत आवश्यक हो गया है. इसके क्रियान्वयन के पश्चात ब्लागिंग आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले ब्लॉगर्स पर अंकुश और प्रतिबन्ध लगाना भी सम्भव हो सकेगा.
इस तरह मुझे उम्मीद है कि हमारे विद्वान साथी मेरी उपरोक्त बातों पर अवश्य ध्यान देंगे. आज इस ब्लागिंग कार्य शाला के परिणाम ब्लॉगर्स को नई दिशा देने में अहम भूमिका का निर्वहन करेंगे, ऐसी मेरी कामना है.
जय हिन्दी - जय ब्लागर्स
दिनांक. 01 दिसम्बर २०१०
- विजय तिवारी "किसलय"
(हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर)
24 टिप्पणियां:
विजय जी,
आपने जो जो बिन्दु दिये हैं सभी सारगर्भित और सराहनीय हैं और इस दिशा मे कदम जरूर उठाये जाने चाहियें ताकि आने वाले ब्लोगर्स को एक साफ़ सुथरा मंच उपलब्ध हो सके और हिन्दी का प्रचार और प्रसार भीहो सके।
nice
सबसे पहले तो यह कहूँगी कि मुझे बहुत जलन हो रही है ..वहां आप सब लोग ब्लॉग मीट पर ब्लॉग मीट किये जा रहे हैं और हम यहाँ बैठे उनकी रिपोर्ट्स ही पढ़े जा रहे हैं :(पर ठीक है किस्मत अपनी अपनी :)
अब आपके आलेख पर ...आपके सभी बिन्दुयों से मैं पूरी तरह सहमत हूँ.इन विन्दुयों पर विचार ही नहीं किया जाना चाहिए बल्कि इन्हें बकायदा अपनाया भी जाना चाहिए तभी हिंदी ब्लोगिंग का विकास संभव है.
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
Bhai ji ,
aapne sachmuch sach kaha hai.Bas, amal mein lane ki deri hai .sundar vicharon ke liye dilse badhai!!
बात तो बिल्कुल सही है विजय भाई आपकी
विचारों की श्रंखला मन को भायी सबकी है
एक दिन की प्रेम कथा जो किसी के साथ कहीं भी घट सकती है
बिल्कुल वाजिब बातें रखीं हैं डॉ. साहब आपने। ये ब्लॉगिंग के टैन कमाण्डमेण्ट सिद्ध हो सकते हैं और इस दिशा में प्रयास प्रारंभ हो चुका है ऐसा इस कार्यशाला से प्रतीत हुआ। चलिए अब निकल पड़ें ललितजी, अवधियाजी, समीरजी, सतपतिजी महेन्द्र मिश्रा जी गिरीश जी आदि के साथ भेड़ाघाट की वादियों की ओर। और होटल सूर्या की ओर हम अपनी बवालो (गड्डी) लेकर रवानगी डाल रहे हैं। धन्यवाद और आभार इन बेहतरीन सुझावों के लिए। हिन्दी ब्लॉगजगत इन पर गौ़र फ़रमाए और अमल करे इसी आशा के साथ। जय हिन्दी। जय हिन्द।
सहमत हूँ आपके सुझावों से।
बिलकुल सही है आपके बताये सारे बिंदु सकारात्मक ब्लागिंग के सन्दर्भ में |
अच्छी अच्छी बातें पढ़कर बड़ा अच्छा लगा। क्या-क्या चर्चा हुई इस मुलाकात में बताइयेगा।
बहुत सुन्दर और उचित सुझाव. कुछ सुझाव तो ब्लोग्गर्स अपने स्तर पर ही लागू कर सकते हैं.आभार.
upyogi vichar...
विचार विनिमय हमेशा सार्थक परिणाम देते हैं। ब्लागर्स-मीट भी अत्यंत सार्थक पहल है। बधाई!
सादर प्रणाम आधिकारिक रपट शीघ्र देखिये
हिंदी ब्लोगिंग पर इसी तरह सतत चिन्तन होते रहना चाहिए। ब्लागर्स-मीट के लिए बधाई!
शुभकामनायें, रपट का इंतजार है.
बहुत ही विचार करने योग्य बिंदु हैं मै आपसे शत प्रतिशत सहमत हूँ ...
समयचक्र - गरिमामय माहौल में शानदार यादगार जबलपुर ब्लागर मीट और राष्ट्रिय वर्कशांप ....
आगामी पोस्ट - दाल बाटी कैसे खाई जाती है बताएगें भाई बबाल जी ...
कभी जब ब्लागिंग के विकास कि कहानी पर शोध होगा तो विकी लीक्स की ही तरह हमारी इस ओपन लीक के पन्ने भी कोई रिसर्च स्कालर जरुर खंगालेगा ...
सार्थक विचारणीय पोस्ट
जय राम जी की पंडित जी।
अच्छा लगा उस दिन कार्यशाला में आपके विचार जानकर, सुनकर. बहुत सारगर्भित बातें.
कास सभी ब्लोगर इस रास्ते तथा विचार को अपनाते......
सटीक और सौ टके की बात
आदरणीय मित्र ,
जबलपुर की यात्रा के दौरान आपका साथ और प्यार मिला इसके लिए आपका बहुत धन्यवाद.
मैंने भी एक छोटी सी पोस्ट लगायी है इस सम्मलेन पर . कृपया वहां भी पधारे.
http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/12/blog-post.html
आपका शुक्रिया , आपसे फिर मिलने की आकांक्षा है .
धन्यवाद.
आपका
विजय
Sujhav vicharneey hain aur sargarbhit bhi. Dhanyawaad!
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