मंगलवार, 26 अक्तूबर 2010

२७ से ३१ अक्टूबर १० तक पंचदिवसीय विवेचना जबलपुर के सत्रहवें राष्टीय नाट्य समारोह में विविधवर्णी नाटकों की प्रस्तुति होगी.

विवेचना संस्था का सत्रहवाँ राष्ट्रीय नाट्य समारोह इस वर्ष 27 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है। विवेचना और केन्द्रीय कीड़ा व कला परिषद म प्र वि मंडल के इस संयुक्त आयोजन में अलग अलग बोलियों के तीन नाटक मंचित हो रहे हैं। 27 अक्टूबर को विवेचना का स्वयं का नाटक मौसाजी जै हिन्द एक व्यंग्य नाटक है जो सरल बुन्देली भाषा में है। मौसाजी एक अद्भुत चरित्र है जो अतीत में खोया है। ऐसा अतीत जो उनका नहीं है। उनके बड़बोलेपन की बानगी यह है कि उनसे गांधी जी हर बात में सलाह लेते थे। अंग्रेज अधिकारी उन्हें घर से उठा ले जाते थे शेर मारने के लिए। यह नाटक सरल बुन्देली भाषा में होने के कारण और अधिक सरस और रोचक बन पड़ा है। 28 अक्टूबर को मंचित होने वाला नाटक रूप अरूप महेन्द्रा एक्सीलेन्सी अवार्ड से विभूषित है जो देश का सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार है। यह नाटक त्रिपुरारि शर्मा द्वारा निर्देशित है जो राष्टीय नाट्य विद्यालय की प्रोफेसर हैं। यह नाटक नौटंकी में काम करने वाली महिला कलाकार और पुरूष कलाकार के द्वंद्व पर आधारित है। इसमें सैट अभिनय संगीत और प्रकाश संयोजन के साथ अभिनय की श्रेष्ठता देखने लायक है। तीसरे दिन 29 अक्टूबर को नटरंग, जम्मू के कलाकार घुमाई नाटक मंचित करेंगे। यह नाटक विश्व के अनेक देशों में और अभी अभी कामनवेल्थ खेलों के दौरान मंचित और प्रशंसित है। रशिया और जर्मनी में अभी हुए इसके शो बहुत सराहे गये। एक डोगरी लोककथा पर आधारित यह नाटक डोगरी संस्कृति और भाषा का बहुत अच्छा प्रतिनिधित्व करता है। शादी के बाद डोली में दुल्हन चली जा रही है कि उसी समय उसे प्यास लगती है। उस पर कोई ध्यान नहीं देता। अंततः दुल्हन की प्यास के कारण डोली रोकना पड़ती है पर वहां पानी नहीं है। दूल्हा भी असहाय है। अंततः एक युवक एक गहरी घाटी से जान जोखिम में डालकर पानी लाने को तैयार होता है। कहानी का अंत बहुत प्रभावशाली है। अपनी खूबसूरत कहानी और डिजाईन के कारण यह नाटक विश्व में धूम मचा चुका है।
30 अक्टूबर को स्व. हबीब तनवीर के विश्वप्रसिद्ध नाटक चरणदास चोर का मंचन होगा। यह नाटक सन् 1975 में प्रथम बार मंचित हुआ था। सन् 1982 में एडिनबर्ग विश्व नाट्य उत्सव में इसे सर्वश्रेष्ठ नाटक माना गया। यह नाटक जब भी होता है और जहाँ भी होता है दर्शक बार बार इसे देखते हैं। एक चोर जो हमेशा सच बोलता है। ऐसी चार कसमें खाता है जो किसी सामान्य आदमी के जीवन में संभव नहीं। पर वहीं घटनाएँ उसके जीवन में घटती हैं। यह नाटक लोक कलाकारों की कला का अनूठा उदाहरण है। पाँचवें और अंतिम दिन नादिरा बब्बर के निर्देशन में यार बना बडी टी वी और फिल्म कलाकारों के अभिनय में पगा शुद्ध हास्य नाटक है। ये चार दोस्तों की कथा है। इनमें से एक दोस्त अचानक अलग व्यवहार करने लगता है। बाकी दोस्त बहुत मेहनत से उसे रास्ते पर लाते हैं।
परिकल्पना: विवेचना
प्रस्तुति:








-विजय तिवारी " किसलय "

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

काश! जरा जल्दी आता मैं..खैर, अनेक शुभकामनाएँ.

Udan Tashtari ने कहा…

रिपोर्टस लगाईयेगा तस्वीरों के साथ, यदि संभव हो तो.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

शुभकामनाएँ ...

SHAKTI PRAJAPATI ने कहा…

PRANAM AVAM CHARAN SPARSH

APNE ANJAAN SHISHYA KA PRANAM SWEEKAR KAREIN

ASHA HAI APKE AGLE LEKHON MEIN HAMEIN THODI SI JAGAH MILEGI.................

AAJ BHI APKE SNEH KI AKANSHA LIYE AUR PALAK PANWADE BHICHAYE.......................