सोमवार, 18 अक्टूबर 2010

दोहा शृंखला (दोहा क्रमांक-९१)

त्रिगुण ज्ञान-धन-शक्ति के,
नवदुर्गायी त्रिखंड।
"पूजा" जीवन-समर में,
देती विजय प्रचंड॥
जगत-जननी माँ दुर्गा की पूजा उपासना के लिए नव रात्रि से अच्छा शुभ मुहूर्त अन्य कोई नहीं होता। नौ रात्रियों की प्रथम तीन रात्रियों में माँ की आराधना से भक्तों में ज्ञानवृद्धि एवं अज्ञानता का नाश होता है। अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए ये दिन विशेष फलदायी होते हैं। चतुर्थी, पंचमी एवं षष्ठी में किया गया पूजन-अर्चन भक्तजनों की आर्थिक परेशानियों का शमन करके सम्पन्नता लाता है। तत्पश्चात सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी की साधना-भक्ति शक्तिदायिनी मानी गयी है। इसके अतिरिक्त माँ शक्ति-सामर्थ्य तथा विजय भाव को भी प्रखर बनाती है। यश-कीर्ति फैलाते हुये मृत्युलोक से मुक्ति दिलाती है।
तात्पर्य यह कि जीवन संग्राम में विजय के लिए आवश्यक तीन गुण 'ज्ञान, धन और शक्ति ' नवरात्रि के त्रिखंडों में की गई साधना-आराधना से निःसंदेह प्राप्त होते हैं।

- विजय तिवारी " किसलय "

8 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर जानकारी प्रदान की……………आभार्।

shikha varshney ने कहा…

बहुत प्रभावी दोहा.

kshama ने कहा…

Bahut khoob! Bhaktee kee vilakshan shaktee samajh me aa rahee hai!

Parul kanani ने कहा…

gud one!

ASHOK BAJAJ ने कहा…

जीवन संग्राम में विजय के लिए आवश्यक तीन गुण 'ज्ञान, धन और शक्ति ' नवरात्रि के त्रिखंडों में की गई साधना-आराधना से निःसंदेह प्राप्त होते हैं।

बहुत उत्तम जानकारी .

ग्राम चौपाल में पधारने के लिए आभार .

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Sundar gayanvardhak jaankaari ke liye aabhar..

समय चक्र ने कहा…

जीवन संग्राम में विजय के लिए आवश्यक तीन गुण 'ज्ञान, धन और शक्ति ' नवरात्रि के त्रिखंडों में की गई साधना-आराधना से निःसंदेह प्राप्त होते हैं...

बहुत सुन्दर सारगर्वित जानकारी दी है .... आभार

विवेचना राष्ट्रीय नाट्य समारोह जबलपुर ने कहा…

ज्ञानवर्धक.
> विवेचना