हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर
HINDI SAHITYA SANGAM JABALPUR, MP, INDIA
गुरुवार, 26 अगस्त 2010
दोहा श्रृंखला (दोहा क्रमांक- ८८)
द्रवित दृगों की देहली,
दर्देदिल दुश्वार.
दुखदायी ये दूरियाँ,
दस्तक देतीं द्वार...
- विजय तिवारी " किसलय "
1 टिप्पणी:
समय चक्र
ने कहा…
बहुत बढ़िया भाव ...
26 अगस्त 2010 को 2:43 pm बजे
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
बहुत बढ़िया भाव ...
एक टिप्पणी भेजें