गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

दोहा श्रृंखला (दोहा क्रमांक ८३)

लडकी  घर से दूर है,
लड़का बसा विदेश .
ममता सिसके गाँव में.
बदला यूँ परिवेश ..

- विजय तिवारी "किसलय "

10 टिप्‍पणियां:

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

घर में एक यंत्र ले आओ
कंपूटर जी कह कर उसे बुलाओ
अंतर जाल उस पर लगवाओ
एक केमरा उस पर बिठ्वाओ
फिर आंखो में आंखे डाळ डाल कर
ढेरो ममता रिश्तो पर लुटवाओ !!

Gautam RK ने कहा…

Vartmaan ki yahi sabse badi vidambna hai Sir... Lekin Jab Hal Nikle tab na!!



"RAM"

Udan Tashtari ने कहा…

अब तो घर घर की कहानी है यह...बेहतरीन दोहा!

vandana gupta ने कहा…

आज के हालात का बडा सटीक शब्दों मे वर्णन किया है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर!
इसको चर्चा में भी ले लिया है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_09.html

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत ही मर्मस्पशी ढंग से हकीक़त को बयां किये हैं !

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

waah..yahi kahani hai aaj ki..
bahut khoob...

SHAKTI PRAJAPATI ने कहा…

SAMAY KI VIDAMBNAYEN NIRALI HAIN.
DHUP-CHANV HI ISKI NISHANI HAIN.

KISLAY JI,BAHUT SHANDAR,AUR INTEZAR HAI.........................................

Divya Narmada ने कहा…

yatharth.

Urmi ने कहा…

बहुत बढ़िया लगा! लाजवाब! उम्दा प्रस्तुती!