शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

१२ फरवरी २०१० को शिवरात्रि पर्व पर मानव मंदिर परिसर, बंधा, शहपुरा रोड, जबलपुर (भारत) में संगमरमरी पंचमुखी गणेश प्रतिमा की वैदिक रीति से प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न.

१२ फरवरी २०१० को  शिवरात्रि पर्व पर  मानव मंदिर   परिसर, बंधा,     शहपुरा रोड,  जबलपुर  (भारत) में  संगमरमरी  पंचमुखी गणेश  प्रतिमा की वैदिक रीति से प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई.
 जहाँ  पंचमुखी गणेश प्रतिमा की वैदिक रीति से प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई है,  उस स्थल की संक्षिप्त जानकारी इस प्रकार है:-
जबलपुर से पश्चिम में करीब २१ किलोमीटर दूर राष्ट्रीय मार्ग-12 पर शहपुरा-भिटोनी के पहले हीरापुर बँधा में पुण्य सलिला नर्मदा के किनारे धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं मानव सेवा से जुड़ा एक विशाल स्थल "श्रीराजराजेश्वर रिद्धि सिद्धि सिद्ध पीठ" विकसित किया जा रहा है जो "कल्चुरी तीर्थ" को मूर्तरूप प्रदान करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा. हीरापुर बँधा के निकट नर्मदा नदी के किनारे विकसित किए जा रहे इस बहुआयामी स्थल पर वर्तमान में दुष्प्रभावहीन प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में प्रयास जारी हैं. यहाँ निःशुक्ल/न्यूनतम शुल्क में वे सारी सुविधाएँ उपलब्ध हो सकेंगी जो एक आम इंसान के लिए आज की महँगाई के चलते संभव नहीं है । यहीं पर वृद्ध और असहाय जनों के लिए सेवा केंद्र भी बनाने की योजना है जिससे यथार्थ में मानव मंदिर का सपना पूरा हो सकेगा । लौह धातु के ग्रह कोप नाशक शनि देव, वंश वृद्धि, संतानोत्पत्ति एवं सुख- शांति की कामना पूर्ण करने वाले गोस्थापित दुर्लभ शिव लिंग एवं इसी मंडप में वांछित फल दायी प्राचीन सिद्धेश्वर   के भी दर्शन सुलभ हैं । यहाँ पर किए जा रहे वृक्षारोपण से पर्यावरण संतुलन एवं औषधि उपलब्धता को भी सार्थकता प्राप्त होगी. इसी परिसर में नव दुर्गा के नौ गुफा-मंडप बनाए गये हैं जहा साधक एकांतवास कर अपनी साधना सम्पन्न कर सकते हैं. यहाँ पर सिद्धेश्वर और गोस्थापित शिवलिंग से मनोकामना हेतु अर्पित नारियल को बाँधने हेतु "मन्नत का वृक्ष " भी है , जहाँ नारियल के भीतर घी और शक्कर भर कर बाँधने से माँगी गई मन्नतें अवश्य पूर्ण होती हैं।

दिनांक १२- ०२-२०१० को मानव मंदिर की कल्पना को साकार करने में जुटे श्री अशोक "आनंद" के निर्देशन एवं विद्वान पुरोहित पंडित  रघुनन्दन दुबे के पौरोहित्य में श्रीमती सुमन तिवारी, विजय तिवारी "किसलय" एवं उनके पुत्र सुविल तिवारी के कर कमलों से प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी की वैदिक रीति एवं वेदोचित विधान से प्राण-प्रतिष्ठा  की गयी. 

  श्री अशोक "आनंद" जी के निर्देशन में पूर्व निर्मित गणेश मंडप प्राण- प्रतिष्ठा के अवसर पर स्थानीय श्रद्धालु, जबलपुर से तिवारी परिवार के स्नेही-स्वजनों सहित अनेक गण्यमान लोग उपस्थित थे. इस अवसर पर श्रीमती सुमन तिवारी ने बताया कि जब वे पिछली बार मानव मंदिर आई थी तो उन्हें ये स्थान अलौकिक, धार्मिक एवं बड़ा शान्तिदायक लगा था और  तभी श्री अशोक "आनंद" जी से यहाँ पर गणेश प्रतिमा की स्थापना करने के संकल्प को उजागर किया था. उन्होंने यह भी बताया कि इसके पूर्व मेरे मन में ऐसा  कोई भी  विचार नहीं था.  यहाँ आने पर चर्चा के दौरान मुझे  लगा कि यहाँ पर मुझे  गणेश जी स्थापना करवाना  चाहिये और तभी मैंने मन ही मन लिए  संकल्प को श्री अशोक "आनंद" जी के सामने उजागर कर दिया.  आज  विघ्न विनाशक  भगवान गणेश की प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर निर्विध्न संकल्प पूर्ण हो गया, इससे मेरी उनके प्रति आस्था और मजबूत  हुई है.
इस अवसर पर श्री अशोक "आनंद" जी ने तिवारी परिवार आभार व्यक्त करते हुये  कहा कि अभी तक आप मेरे अतिथि  थे अब आप भी इस मानव मंदिर परिवार का एक हिस्सा बन गए हैं.
प्रस्तुति:-
- विजय तिवारी "किसलय" 

6 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा और सार्थक प्रयास. जबलपुर आयेंगे तो आपके चलेंगे दर्शन करने.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर और सचित्र रपट लगाई है आपने!
प्रेम दिवस की हार्दिक बधाई!

vandana gupta ने कहा…

bahut hi badhiya jankari di hai...........ha rhar mahadev.

समय चक्र ने कहा…

बहुत उम्दा,सार्थक प्रयास है...

Girish Kumar Billore ने कहा…

Shubh kamnaye

बवाल ने कहा…

आदरणीय पंडितजी,
यह कार्य आपने वाक़ई बहुत पुण्य का किया है। भगवान गौरीनन्दन की अत्यंत सुन्दर प्रतिमा स्थापित हुई और वह भी इस महामुहूर्त पर। आनंद आ गया जी। आपको और आपके परिवार को बहुत बहुत बधाई। आपका बहुत बहुत आभार इस स्वर्णावसर को पोस्ट के माध्यम से हम सबसे बाँटने के लिए।