मंगलवार, 26 जनवरी 2010

दोहा श्रृंखला (दोहा क्रमांक ८१)

नियम तोड़ना जब बनी,
आज हमारी शान।

क्या? कहलाता है यही,
संविधान का मान॥

- विजय तिवारी " किसलय "

11 टिप्‍पणियां:

shikha varshney ने कहा…

सार्थक दोहा विजय जी ! बहुत अच्छा.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
नया वर्ष स्वागत करता है , पहन नया परिधान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥

Udan Tashtari ने कहा…

नियम तोड़ना जब बनी, आज हमारी शान।
क्या? कहलाता है यही,संविधान का मान!!
संविधान का मान कि इसको मन का ढालो
सुविधा का अनुरुप, सभी धारा अजमा लो.
कहते हैं कविराय, गजब ही सिद्ध किया है मंत्र
सब मिल का चिल्लाओ, जय भारत गणतंत्र.


-गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ. -

समयचक्र ने कहा…

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...

श्रद्धा जैन ने कहा…

bahut sateek baat
ham har niyam tod rahe hain to
samvidhaan ka samaan kaha hua

Gantantra diwas ki hardik shubhkamanaa

SACCHAI ने कहा…

" behad sacchai bhari baaat kum alfaz me "

---- eksacchai { AAWAZ }

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

हां कडवा सच है ये.
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें.

shama ने कहा…

Galat samay pe niyam todna shaan ban rahee hai!
Gantantr diwas ajramar rahe!

BrijmohanShrivastava ने कहा…

आपके दोहा को तो उड़्न तश्तरी ने कुण्डली बना दिया

निर्मला कपिला ने कहा…

सुन्दर दोहे आपको जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनायें

Nira ने कहा…

bahut ache dohe likhe hain