हिन्दी दिवस पर कुछ दोहे:-
१
हिन्दी बिन्दी सी लगे, भारत माँ के भाल
केवल हिन्दी दिवस पर , सुनते हम हर साल !
२
हिन्दी में मिलने लगा, जग का जब सब ज्ञान
फिर क्यों सारे देश में, बढ़ी न इसकी शान ?
३
सच्चाई स्वीकार कर, सोचें सभी सुजान
हिन्दी के उत्थान पर, दे पाये क्या ध्यान ?
४
अंग्रेजी की शान में, हिन्दी का अपमान
क्यों हम सबकी आज भी, नियति बनी श्रीमान ?
५
मना रहे हम आज सब, हिन्दी दिवस महान
क्या ऐसा रख पायेंगे, कल भी इसका ध्यान ?
६ और अंत में देखें :-
सारे वेद पुराण हैं, जिस हिन्दी की ढाल
फिर उसके प्राचुर्य पर, नाहक उठें सवाल
-विजय तिवारी " किसलय "
7 टिप्पणियां:
बिल्कुल यथार्थ उजागर करते दोहे:
हिन्दी के उत्थान का, नारा दिया लगाय
अंग्रेजी में शान से, भाषण दिया सुनाय.
-पसंद आये सभी दोहे. बधाई.
दोहे बहुत पसन्द आए ।
कृपया अशुद्ध "श्रृंखला" शब्द को सुधार कर "शृंखला" लिखें ।
विजय तिवारी " किसलय " जी!
बहुत सुन्दर दोहे हैं।
हिन्दी-दिवस की शुभकामनाएँ!
हिंदी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं ।
हर दोहे मे हिंदी की व्यथा उजागर होती है।
हिंदी दिवस की आपको बहुत बहुत शुभकामनायें
आपके दोहे बहुत पसंद आये
आपके द्वारा हिन्दी के समस्त दोहे हिन्दी के दर्द को बयान करते है।
सारे वेद पुराण हैं, जिस हिन्दी की ढाल
फिर उसके प्राचुर्य पर, नाहक उठें सवाल
बहुत सुंदर बात कही है आपने..वैसे आपके दोहों की तो बात ही अलग है बहुत सुंदर.
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