शनिवार, 29 अगस्त 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र. ७० से ७२]

प्रथम पूज्य, गौरी तनय,
दयावंत, विघ्नेश।
कृपादृष्टि रखिये सदा,
सर्व गुणज्ञ गणेश ॥
***
शिवसुत, लम्बोदर, विकट,
सिद्धिसदन, गणदेव ।
विघ्नविनाशक, गजवदन,
मंगलमूर्ति त्वमेव ॥
***
बुद्धिविनायक, गुणसदन,
मंगलदायी रूप।
मेरे अंतस में बसो,
छवि ले परम अनूप ॥
***
- विजय तिवारी " किसलय "

4 टिप्‍पणियां:

श्यामल सुमन ने कहा…

किसलय जी की वन्दना बहुत हृदय के पास।
शब्द भाव संयोग से दोहे बने हैं खास।।

vikram7 ने कहा…

प्रभावशाली दोहो के साथ गणेश जी के मंगलकारी चित्र के लिये धन्यवाद

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

बेहतरीन गणेश जी के दोहे

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

बेहतरीन गणेश जी के दोहे