सोमवार, 24 अगस्त 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र. ६८]

गिरिजा सुत को नमन कर,
शुरू करें शुभ कर्म ।
मिले सुनिश्चित सफलता,
उपजें नहीं अधर्म ॥
- विजय तिवारी " किसलय "

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

आज बहुत दिनों बाद आये आप. उत्तम सीख देता दोहा, बधाई.

श्यामल सुमन ने कहा…

उपजे अगर अधर्म तो रोकें करके कर्म।
जीवन का सुख है यही और सभी का धर्म।।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आदि देव की वन्दना,करना सबका धर्म।
पूरण होंगे काज सब,गाँठ बाँध लो मर्म।।

बहुत बधाई!

namita ने कहा…

बधाई ,विजय जी..............इस सुन्दर दोहे के लिये भी और गणेश चतुर्थी की भी.

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

प्रेरणा प्रद दोहा।