आज हम आप से परिचय करा रहे हैं जबलपुर के वरिष्ठ शायर श्री कन्हैया लाल ताम्रकार जी से। आपका गजल संग्रह "दीवानगी" संस्कारधानी जबलपुर एवं मध्यप्रदेश में बेहद सराहा गया। अभी ४ जून को अपना ७५ वाँ जन्म दिन मना चुके आदरणीय ताम्रकार जी आज भी साहित्यिक एवं आध्यात्मिक चिंतनरत रहते हैं. आज हम आप को उनकी सद्य प्रस्फुटित गजल उनकी ही आवाज में आपको सुना रहे हैं।
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......... ग़ज़ल ............
मैंने पूछा रिंद से क्यों बरबाद कर दी जिंदगी
दिल के हर गोशे में तूने यों ही भर दी तीरगी
दिल के हर गोशे में तूने यों ही भर दी तीरगी
आह भर कर ये कहा टूटे हुए दिल-गीर ने
आँसू भी बहते नहीं जब टूट जाता दिल कभी
दिल के अरमां एक दिन उसने बयां ऐसे किये
था वो किसी और का बर्क़ मेरे दिल पर गिरी
मैंने चाहा था उसे ऐसे मेरे जज़्बात थे
भूलना जितना भी चाहा बढ़ती गई तिश्नगी
जानते हैं आप इन्सां दिल के हाथों मजबूर है
जाता है वह मयखाने को वह जब टूटती है दोस्ती
आप ही कहिये मियां क्या प्यार करना जुर्म है
मैं समझता हूँ की उल्फत है खुदा की बंदगी
मैं समझता हूँ की उल्फत है खुदा की बंदगी
उस बुते दिल-गीर का अहसां "कन्हैया" मानता
ग़म बढ़ा बे- इंतहा तब दिल में हो गई रोशनी
प्रस्तुति- विजय तिवारी "किसलय"
7 टिप्पणियां:
"आप ही कहिये मियां क्या प्यार करना जुर्म है
मैं समझता हूँ की उल्फत है खुदा की बंदगी"
श्री कन्हैया लाल ताम्रकार जी को बधाई।
विजय तिवारी "किसलय" का आभार।
उस बुते दिल-गीर का अहसां "कन्हैया" मानता
ग़म बढ़ा बे- इंतहा तब दिल में हो गई रोशनी
आप ही कहिये मियां क्या प्यार करना जुर्म है
मैं समझता हूँ की उल्फत है खुदा की बंदगी
पंक्तियाँ अच्छी लगी . रचनाकार की फोटो देखकर लगता है कि ताम्रकार जी शायद गढा रोड में रहते है . कही ताम्रकार बंधू के पिताश्री तो नहीं है ?
good
मैंने चाहा था उसे ऐसे मेरे जज़्बात थे
भूलना जितना भी चाहा बढ़ती गई तिश्नगी
bahut achchee ghazal hai.
वरिष्ठ शायर श्री कन्हैया लाल ताम्रकार जी ko unke 75 ven janamdin ki bahut bahut badhaayeeyan.
'Ghazal paath 'bhi sunkar bahut achcha laga..ghazal Sunna ,padhne se jyada prabhaavi lagi.
dhnywaad.
भई, काफ़िया व रदीफ़ कहां है ??गज़ल में।
जानते हैं आप इन्सां दिल के हाथों मजबूर है
जाता है वह मयखाने को वह जब टूटती है दोस्ती
wah bhiyaa ye bahut achhi gazal aapne share ki hai
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