शुक्रवार, 8 मई 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र. ५५]

फसल उगाने ग्रीष्म में,
किये खेत तैयार ।
अब कृषकों को चाहिये,
वर्षा की बौछार ॥
- विजय तिवारी " किसलय "

2 टिप्‍पणियां:

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

उचित इच्छा देश हित में, कृषक हित में और स्वयं हित में.
आपने एक वरदान मांग कर सबको तृप्त कर दिया.
मेरा भी समर्थन और ईश्वर से प्रार्थना की काश ऐसा शीघ्र हो

आभार.

चन्द्र मोहन गुप्त

alka mishra ने कहा…

प्रिय बन्धु
जय हिंद
साहित्य हिन्दुस्तानी पर पधारने के लिए धन्यवाद और अपनी आमद दर्ज कराने का शुक्रिया
अगर आप अपने अन्नदाता किसानों और धरती माँ का कर्ज उतारना चाहते हैं तो कृपया मेरासमस्त पर पधारिये और जानकारियों का खुद भी लाभ उठाएं तथा किसानों एवं रोगियों को भी लाभान्वित करें