जबलपुर विशाल भारत के प्रमुख ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण नगरों में से एक है। आचार्य विनोबा भावे द्वारा ‘संस्कारधानी‘ नाम से विभूषित जबलपुर शब्द की उत्पत्ति के संबंध में इसको जाउलीपत्तन का अपभ्रंश माना जा सकता है जो कि कल्चुरी नरेश जयसिंह के ताम्रलेख के अनुसार एक मण्डल था। जाबालि ऋषि की तपोभूमि होने के कारण इसे जाबालीपुरम् से भी जोड़ा जाता है। जबलपुर एवं इसका निकटवर्ती प्रक्षेत्र ऐतिहासिक, दार्शनिक , राजनैतिक, साहित्यिक एवं सामरिक दृष्टि से अपना विशेष महत्व रखता है।
प्राकृतिक सुन्दरता की गोद में बसे जबलपुर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती पावन नर्मदा एवं दूर तक दृष्टिगोचर होती पर्वत श्रृंखलाओं के फलस्वरूप इस नगर की सुन्दरता में एक अनोखा सामंजस्य बन गया है। भेड़ाघाट में संगमरमरी चट्टानों की सुरम्य घाटियों के दृश्य देखते हुए लोगों की आँखें आश्चर्य चकित हो जाती हैं। पास ही प्रकृति की अनोखी धरोहर ‘धुआँधार‘ नामक जलप्रपात के रूप में दिखाई देता है।
यहीं पहाड़ी पर बना चौसठ योगिनी का मन्दिर प्राचीन शिल्पकला का अनूठा उदाहरण है। एक चक्र के आकार में 86 से भी अधिक देवी, देवताओं एवं योगिनियों की मूर्तियों में अद्भुत शिल्पकला के दर्शन होते हैं। भेड़ाघाट के समीप ही नर्मदा के ही लम्हेटाघाट में पाई जाने वाली चट्टानें विश्व की प्राचीनतम चट्टानों में गिनी जाती है। भूगर्भशास्त्रियों द्वारा इनकी उम्र लगभग 50 लाख वर्ष बताई गई है तथा विश्व की भूगर्भीय भाषा में इन चट्टाओं को लम्हेटाईट नाम से जाना जाता है। जबलपुर की पश्चिम दिशा में भेड़ाघाट रोड पर स्थित वर्तमान तेवर ही कल्चुरियों की राजधानी त्रपिुरी है जो कि शिशुपाल चेदि राज्य का वैभवशाली नगर था। इसी त्रिपुरी के त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध करने के कारण ही भगवान शिव का नाम ‘त्रिपुरारि‘ पड़ा।
गांगेय पुत्र कल्चुरी नरेश कर्णदेव एक प्रतापी शासक हुए, जिन्हें ‘इण्डियन नेपोलियन‘ कहा गया है। उनका साम्राज्य भारत के वृहद क्षेत्र में फैला हुआ था। सम्राट के रूप में दूसरी बार उनका राज्याभिषेक होने पर उनका कल्चुरी संवत प्रारंभ हुआ। कहा जाता है कि शताधिक राजा उनके शासनांतर्गत थे।
कल्चुरियों के पश्चात् गौंड़ वंश का इतिहास सामने आता है और गढ़ा-मण्डला की वीरांगना रानी दुर्गावती की वीरता तथा देशभक्ति याद आती है। मुगलों से लड़ते हुए उनके पुत्र वीरनारायण की शहादत एवं अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए स्वयं के प्राणोत्सर्ग की घटना दुर्लभ कही जा सकती है। महारानी दुर्गावती के पूर्व मदनशाह की स्मृति में सुरम्य पहाड़ियों के मध्य बना मदन महल हो अथवा रानी दुर्गावती के सेनापति अधार सिंह, श्वसुर संग्राम शाह, चेरी अर्थात दासी की स्मृतियों में बने रानीताल, अधारताल, संग्राम सागर, चेरीताल के रूप में आज भी गौड़ वंश की स्मृतियाँ जीवित हैं। गौंड़ साम्राज्य चार भागों में बँटा हुआ था। उत्तर प्रान्त की राजधानी सिंगौरगढ, दक्षणि- पूर्व की मण्डला, पश्चिम की चौरागढ़ तथा मध्य की गढ़ा राजधानी थी। गढ़ा समस्त साम्राज्य का केन्द्र था।
स्वतंत्रा संग्राम की लड़ाई में भी जबलपुर का सक्रिय योगदान रहा है। भारत में झण्डा आंदोलन का सूत्रपात जबलपुर से ही हुआ था। जबलपुर वासियों की स्वतंत्रता के प्रति सक्रयिता का ही परिणाम था कि सन् 1939 में अखिल भारतीय कांग्रेस का 52 वाँ ‘त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन‘ जबलपुर में हुआ। ज्ञातव्य है कि इस अधिवेशन में महात्मा गांधी समर्थित पट्टाभि सीतारमैया को हराकर सुभाष चन्द्र बोस के राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने पर गांधी जी और उनके बीच मतभेद की परिणति सुभाष बाबू के फारववर्ड ब्लाक के गठन के रूप में हुई, जिसकी स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका रही। ज्ञातव्य है कि श्री सुभाष चन्द्र बोस स्वतंत्रा आंदोलन में जबलपुर सेन्ट्रल जेल में भी रहे हैं।
‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी‘ कविता की रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान, व्यंग्य विधा के जनक हरिशंकर परसाई जैसे साहित्यकारों की नगरी जबलपुर में ख्यातिलब्ध व्यक्तित्वों की कमी नहीं रही। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री द्वारिका प्रसाद मिश्र, मध्य प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष कुंजीलाल दुबे, सेठ गोविन्ददास, राजर्षि परमानन्द भाई पटेल, राजस्थान के पूर्व राज्यपाल निर्मल चंद जैन, साहित्य मनीषी रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल‘ एवं वर्तमान में मध्य प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष श्री ईश्वरदास रोहाणी को कौन नहीं जानता।
जबलपुर की माटी और संस्कृति में पल्लवित आचार्य रजनीश एवं महर्षि महेश योगी विश्वविख्यात विभूतियाँ हैं। सम्पूर्ण भारत के डाकतार विभाग में पिन कोड अर्थात पोस्टल इन्डेक्स नंबर की प्रणेता भी जबलपुर की ही श्रीमती चौरसिया थीं। मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मण्डल मुख्यालय, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, पश्चिम-मध्य रेलवे जोन मुख्यालय, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय एवं आयुध निर्माणियों का यह नगर देश में अपना विशेष स्थान रखता है।
उपनगरीय क्षेत्र गढ़ा में पर्वतश्रृंखला पर स्थित जैन मंदिर समूह एवं नीचे नंदीश्वर द्वीप सहित कांग्रेस अधिवेशन की स्मृति में निर्मित गांधी स्मारक कमानिया गेट, त्रिपुरी कांग्रेस स्मारक, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय भवन, गोकुलदास धर्मशाला आदि इमारतें आज भी वैभव एवं वास्तुकला के प्रमाण हैं। सुभाष चन्द्र बोस, विनोबा भावे, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू की अनेक प्रवासों की स्मृतियाँ संजोए जबलपुर आज भी राजनीति, साहित्य और संस्कारों की निजी पहचान बनाए हुए हैं।
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-विजय तिवारी "किसलय" जबलपुर
प्राकृतिक सुन्दरता की गोद में बसे जबलपुर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती पावन नर्मदा एवं दूर तक दृष्टिगोचर होती पर्वत श्रृंखलाओं के फलस्वरूप इस नगर की सुन्दरता में एक अनोखा सामंजस्य बन गया है। भेड़ाघाट में संगमरमरी चट्टानों की सुरम्य घाटियों के दृश्य देखते हुए लोगों की आँखें आश्चर्य चकित हो जाती हैं। पास ही प्रकृति की अनोखी धरोहर ‘धुआँधार‘ नामक जलप्रपात के रूप में दिखाई देता है।
यहीं पहाड़ी पर बना चौसठ योगिनी का मन्दिर प्राचीन शिल्पकला का अनूठा उदाहरण है। एक चक्र के आकार में 86 से भी अधिक देवी, देवताओं एवं योगिनियों की मूर्तियों में अद्भुत शिल्पकला के दर्शन होते हैं। भेड़ाघाट के समीप ही नर्मदा के ही लम्हेटाघाट में पाई जाने वाली चट्टानें विश्व की प्राचीनतम चट्टानों में गिनी जाती है। भूगर्भशास्त्रियों द्वारा इनकी उम्र लगभग 50 लाख वर्ष बताई गई है तथा विश्व की भूगर्भीय भाषा में इन चट्टाओं को लम्हेटाईट नाम से जाना जाता है। जबलपुर की पश्चिम दिशा में भेड़ाघाट रोड पर स्थित वर्तमान तेवर ही कल्चुरियों की राजधानी त्रपिुरी है जो कि शिशुपाल चेदि राज्य का वैभवशाली नगर था। इसी त्रिपुरी के त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध करने के कारण ही भगवान शिव का नाम ‘त्रिपुरारि‘ पड़ा।
गांगेय पुत्र कल्चुरी नरेश कर्णदेव एक प्रतापी शासक हुए, जिन्हें ‘इण्डियन नेपोलियन‘ कहा गया है। उनका साम्राज्य भारत के वृहद क्षेत्र में फैला हुआ था। सम्राट के रूप में दूसरी बार उनका राज्याभिषेक होने पर उनका कल्चुरी संवत प्रारंभ हुआ। कहा जाता है कि शताधिक राजा उनके शासनांतर्गत थे।
कल्चुरियों के पश्चात् गौंड़ वंश का इतिहास सामने आता है और गढ़ा-मण्डला की वीरांगना रानी दुर्गावती की वीरता तथा देशभक्ति याद आती है। मुगलों से लड़ते हुए उनके पुत्र वीरनारायण की शहादत एवं अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए स्वयं के प्राणोत्सर्ग की घटना दुर्लभ कही जा सकती है। महारानी दुर्गावती के पूर्व मदनशाह की स्मृति में सुरम्य पहाड़ियों के मध्य बना मदन महल हो अथवा रानी दुर्गावती के सेनापति अधार सिंह, श्वसुर संग्राम शाह, चेरी अर्थात दासी की स्मृतियों में बने रानीताल, अधारताल, संग्राम सागर, चेरीताल के रूप में आज भी गौड़ वंश की स्मृतियाँ जीवित हैं। गौंड़ साम्राज्य चार भागों में बँटा हुआ था। उत्तर प्रान्त की राजधानी सिंगौरगढ, दक्षणि- पूर्व की मण्डला, पश्चिम की चौरागढ़ तथा मध्य की गढ़ा राजधानी थी। गढ़ा समस्त साम्राज्य का केन्द्र था।
स्वतंत्रा संग्राम की लड़ाई में भी जबलपुर का सक्रिय योगदान रहा है। भारत में झण्डा आंदोलन का सूत्रपात जबलपुर से ही हुआ था। जबलपुर वासियों की स्वतंत्रता के प्रति सक्रयिता का ही परिणाम था कि सन् 1939 में अखिल भारतीय कांग्रेस का 52 वाँ ‘त्रिपुरी कांग्रेस अधिवेशन‘ जबलपुर में हुआ। ज्ञातव्य है कि इस अधिवेशन में महात्मा गांधी समर्थित पट्टाभि सीतारमैया को हराकर सुभाष चन्द्र बोस के राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने पर गांधी जी और उनके बीच मतभेद की परिणति सुभाष बाबू के फारववर्ड ब्लाक के गठन के रूप में हुई, जिसकी स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका रही। ज्ञातव्य है कि श्री सुभाष चन्द्र बोस स्वतंत्रा आंदोलन में जबलपुर सेन्ट्रल जेल में भी रहे हैं।
‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी‘ कविता की रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान, व्यंग्य विधा के जनक हरिशंकर परसाई जैसे साहित्यकारों की नगरी जबलपुर में ख्यातिलब्ध व्यक्तित्वों की कमी नहीं रही। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री द्वारिका प्रसाद मिश्र, मध्य प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष कुंजीलाल दुबे, सेठ गोविन्ददास, राजर्षि परमानन्द भाई पटेल, राजस्थान के पूर्व राज्यपाल निर्मल चंद जैन, साहित्य मनीषी रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल‘ एवं वर्तमान में मध्य प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष श्री ईश्वरदास रोहाणी को कौन नहीं जानता।
जबलपुर की माटी और संस्कृति में पल्लवित आचार्य रजनीश एवं महर्षि महेश योगी विश्वविख्यात विभूतियाँ हैं। सम्पूर्ण भारत के डाकतार विभाग में पिन कोड अर्थात पोस्टल इन्डेक्स नंबर की प्रणेता भी जबलपुर की ही श्रीमती चौरसिया थीं। मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मण्डल मुख्यालय, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, पश्चिम-मध्य रेलवे जोन मुख्यालय, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय एवं आयुध निर्माणियों का यह नगर देश में अपना विशेष स्थान रखता है।
उपनगरीय क्षेत्र गढ़ा में पर्वतश्रृंखला पर स्थित जैन मंदिर समूह एवं नीचे नंदीश्वर द्वीप सहित कांग्रेस अधिवेशन की स्मृति में निर्मित गांधी स्मारक कमानिया गेट, त्रिपुरी कांग्रेस स्मारक, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय भवन, गोकुलदास धर्मशाला आदि इमारतें आज भी वैभव एवं वास्तुकला के प्रमाण हैं। सुभाष चन्द्र बोस, विनोबा भावे, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू की अनेक प्रवासों की स्मृतियाँ संजोए जबलपुर आज भी राजनीति, साहित्य और संस्कारों की निजी पहचान बनाए हुए हैं।
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-विजय तिवारी "किसलय" जबलपुर
13 टिप्पणियां:
बहुत उम्दा आलेख. हमारे लिए गर्व का विषय है कि हम इस नगरी से हैं. आभार इस आलेख के लिए.
विशाल भारत के प्रमुख ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण नगर जबलपुर के सम्बन्ध में जानकारी देने के लिए आभार।
नर्मदांचल के ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण नगर जबलपुर के सम्बन्ध में सारगार्वित उम्दा जानकारी देने के लिए धन्यवाद.
IS NAGARI KE LIYE AB KYA KAHANE... BAHOT HI BADHYA AUR JAANKAARI PARAK POST KARI HAI AAPNE ... IS BAAT PE AAPKO EK CHIJ SE NAWAAJNAA CHAHTA HUN AGAR AAP BURAA NAA MAANE TO... AAJ SE AAPKO MAIN KISLAY JABALPURI KE NAAM SE PUKAAROONGA...
AAP BHI APNE POST PE YAHI NAAM LAGAYEN...AGAR KOI AAPPATI NAA HO TO
BADHAAYEE
AAPKA
ARSH
महत्वपूर्ण नगर जबलपुर के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए धन्यवाद.
जबलपुर के बारे में जानकरअच्छा लगा। वैसे अब जबलपुर जाने की इच्छा भी हृदय में जन्म ले रही है।
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SBAI TSALIIM
jankari ke liye bhut dhnywad
Jabalpoor ke baareme padhke badaa man kar rahaa hai,ki, aise sthalpe zindagee me ekbaar to ho aaoon..!
Sehetke kaaran safarse katraatee hun....
Bohot dinose aapkaa maargdarshan nahee milaa...!
snehsahit
shama
नगर के वाबत अच्छी व ऐतिहासिक भी जानकारी
हम तो अब तक बस् जबलपुर के प्राक्रितिक रूप पर ही मुग्ध थे आपने इसके और पहलू भी दिखाये ........धन्यवाद.
is sheher me wo pyar hai jo maa ki god me hoti hai
isme pplzzz jabalpur k bare me kuch latest daliye
Mujhe Garv hai ki main Bharat ke hradaya sdhal jabalpur main janm liya, Or Apne Jabalpur ke bare mai itna kuch jana jiske liye main aapka hradaya dil se sukra guzar hun|
Aap ka:- Pawan Agrawal
mob. no.- 9713755134
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