शुक्रवार, 10 अप्रैल 2009

ज्ञानरंजन जी को साधना सम्मान और मराल जी को सारस्वत सम्मान

"वागर्थ" का प्रकाशन करने वाली "भारतीय भाषा परिषद्" ने संस्कारधानी जबलपुर के श्री ज्ञान रंजन सहित ४ वरिष्ठ साहित्यकारों को साधना सम्मान-२००८ देने का निर्णय लिया है.
ज्ञात हो कि हिंदी के शीर्ष साहित्यकार एवं "पहल" के संपादक श्री ज्ञान रंजन को उनके द्बारा की गई उल्लेखनीय हिंदी साहित्य सेवा हेतु १८ अप्रेल २००८ को कोलकाता में इंक्यावन हजार रुपये की सम्मान निधि के साथ उक्त "साधना सम्मान " से अलंकृत किया जायेगा, साथ ही पंजाबी साहित्य
के लिए डॉ. महेंदर कौर गिल, तमिल साहित्य के लिए श्री वेरामुत्तु और उड़िया साहित्य
के लिए श्री रामचंद्र बेहरा को भी साधना -२००८ सम्मान से नवाजा जायेगा।


वहीँ जबलपुर के ही वरिष्ठ कवि, साहित्यकार एवं दो दर्जन पुस्तकों के रचयिता डॉ. गार्गी शरण मिश्र "मराल" को विगत दिनों लखनऊ में यू एस पत्रिका द्बारा सारस्वत सम्मान से विभूषित किये जाने पर संस्कारधानी के साहित्य जगत में खुशियों का माहौल निर्मित हो गया है।

आदरणीय ज्ञान जी एवं मराल जी को हिंदी साहित्य संगम की हार्दिक बधाई .

- विजय तिवारी " किसलय "

4 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

‘पहल’ के सम्पादक ज्ञानरंजन जी को तथा ‘दीपशिखा’ के प्रधान संपादक डॊ.मराल को सम्मानित होने पर बधाई। साथ ही उन सभी विद्वजनों को भी जिन्हें सम्मानित/पुरस्करित किया गया है।

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

महानुभाव द्वै को बहुत बहुत बधाई

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

पहल’ के सम्पादक ज्ञानरंजन जी को तथा ‘दीपशिखा’ के प्रधान संपादक डॊ.मराल को सम्मानित होने पर बहुत बहुत बधाई।
...वही डॉ. महेंदर कौर गिल, श्री वेरामुत्तु और श्री रामचंद्र बेहरा को भी साधना सम्मान-२००८ के लिए हार्दिक भकामनायें ....!!

समयचक्र ने कहा…

apki post ki charcha sirf mere blaag me
समयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : जो पैरो में पहिनने की चीज थी अब आन बान और शान की प्रतीक मानी जाने लगी है