शनिवार, 4 अप्रैल 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र ४४ से ४८]

नव रात्रि पर्व पर मैया के ५ दोहे और ....

"माँ" की महिमा का सदा, जो भी करे बखान
जीवन में उसको मिले, खुशियों का वरदान

भक्ति भाव रख जो करे , नमन, ध्यान, गुणगान
उनकी सारी मुश्किलें, "माँ" करती आसान

जो "अम्बे" की अर्चना, करे जोड़ द्वय हस्त
त्रिविध ताप, त्रय लोक में, कर पाए ना त्रस्त

"माँ" तेरा सुमिरन करुँ, नत मस्तक, कर जोड़
भव वारिधि के बीच में, मुझे न देना छोड़

मूर्ख, अकिंचन भक्त मैं, चरणों की हूँ धूल
" अम्बे" शरण बुलाईये, विस्मृत कर हर भूल
- विजय तिवारी " किसलय "



1 टिप्पणी:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत भावपूर्ण दोहे हैं।बहुत सुन्दर।