गुरुवार, 12 फ़रवरी 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र ३०]

पीली सरसों खिल उठी,
फूले टेसू लाल
सजनी रंग अबीर से,
मले पिया के गाल
- किसलय

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा!

vandana gupta ने कहा…

waah--------holi ka bhut khoob chitran hai aur shayad isse achcha aur kya

mad bhare aalam mein
prem rang rang gaye dono.

बेनामी ने कहा…

बसंत या फाल्‍गुन हो और अबीर के साथ पिया के गाल याद न आएं तो समझो पंडित जी कि दुनिया बेकार है।