मंगलवार, 10 फ़रवरी 2009

शब्द सबके साथ हैं

आदरणीय ओंकार ठाकुर संस्कारधानी जबलपुर ही नहीं राष्ट्रीय स्तर के कहानीकार हैं.इन्होंने १९६५ से १९८५ के मध्य जब साहित्यिक पत्रिकाओं की कमी थी , और इनका प्रकाशन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता था, उन दिनों आपने "शताब्दि" पत्रिका को निकाल कर मध्य प्रदेश को गौरवान्वित किया . आप एक अच्छे कहानीकार तो हैं ही, साथ में आप श्रेष्ठ कवि , सम्पादक, पत्रकार के गुणों से भी अभिसिक्त हैं. विज्ञान पर आधारित आपके लेख काफ़ी चर्चित रहे हैं, आपके निबंध भारत के अनेक विश्विद्यालयों में भी चलते रहे.आज हम उनकी ५ फरवरी २००९ को सद्य प्रस्फुटित कविता आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं, आशा है सभी को पसंद आएगी..........

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शब्द सबके साथ हैं
आतंरिक ऊर्जा सहेजे शब्द सबके साथ हैं
शर्त उनकी मानते रहें सब समय के विस्तार में
अर्थ को आकार देते शब्द हर दिन नए
विरल अपनत्व है शब्द के रस-सिक्त संसार में

शब्द केवल शब्द तो होते नहीं
सिर्फ़ स्पर्श के लिए कभी उनके निकट जाओ
करो स्वीकार उनका बोलता-सा मौन भी
कभी उनके संग मिलकर गीत तो गाओ

शब्द को बुलाकर पास अपने, सहज बन
गीत मीरा, सूर ने कितने सजाए
शब्द को साक्षी बनाकर आधुनिक कवि ने
व्यथा, पीड़ा, अकेलापन, चुभन के गीत गाये

शब्द के अर्थ होते अनगिनत हैं
किसी महासागर को कभी गौर से निहारो तो
शब्द तिरते हैं तरंगों पर रश्मियों के संग
पास आने के लिए कभी उन्हें पुकारो तो ......
---------***--------
प्रस्तुति :- डॉ विजय तिवारी " किसलय "

9 टिप्‍पणियां:

Girish Kumar Billore ने कहा…

are baap re sabase tej
badhaaiyaan
ati sundar
meraa bhee pranaam kahiye ji

vandana gupta ने कहा…

kya khoob kaha hai...........shabd sabke sath hain............sach.
sirf unhein samajhna aur unhein abhivyakt karna hi nahi aata insan ko.
itni sundar aur shabdon ke mahtva ko batati kavita padhwane ke liye shukriya.

Alpana Verma ने कहा…

'शब्द केवल शब्द तो होते नहीं '



'आदरणीय ओंकार ठाकुर ji ke baare mein padha aur un ki kavita bhi padhi..shbd sab ke saath hain..bahut pasand aayi..un ka naam hamne bahut suna tha aur kuchh rachnayen padhi bhi hain.
prastuti ke liye dhnywaad.

Prem Farukhabadi ने कहा…

Bhai Kislay ji
main mila hoon आदरणीय ओंकार ठाकुर ji se.aur khoob baaten bhi ki.unki aankhon mein tez aur unki vani mein oz aaz bhi vidymaan hai.vo ek lekhak ,kavi to hain hi uchch koti ke iske bavjood vo ek achchhe insaan bhi hain. ye mera saubhagy hi raha jo aapke yahan darshan ho gaye. mujhe unse baat karke bahut achchha laga tha.eeshwar unhen swasth evam deerghayu banaye. aisi hastiyan hamaare liye urja ka srot hain.inka swagat aur samman hona hi chahiye. Badhai ho aapko. unki kavita puna pesh kar raha hoo.

आतंरिक ऊर्जा सहेजे
शब्द सबके साथ हैं
शर्त उनकी मानते रहें
सब समय के विस्तार में
अर्थ को आकार देते
शब्द हर दिन नए
विरल अपनत्व है
शब्द के रस-सिक्त संसार में
शब्द केवल शब्द तो होते नहीं
सिर्फ़ स्पर्श के लिए कभी
उनके निकट जाओ
करो स्वीकार उनका
बोलता-सा मौन भी
कभी उनके संग मिलकर
गीत तो गाओ
शब्द को बुलाकर पास अपने,
सहज बन गीत मीरा,
सूर ने कितने सजाए
शब्द को साक्षी बनाकर
आधुनिक कवि ने
व्यथा, पीड़ा, अकेलापन,
चुभन के गीत गाये
शब्द के अर्थ होते
अनगिनत हैं
किसी महासागर को कभी
गौर से निहारो तो
शब्द तिरते हैं तरंगों पर
रश्मियों के संग
पास आने के लिए कभी
उन्हें पुकारो तो ......

Doobe ji ने कहा…

kya baat hai ......

Udan Tashtari ने कहा…

आ. ओंकार दादा को प्रणाम!

बेनामी ने कहा…

aankho me aansu liye dil par pathhar rakh kar , mujhe aap sabhi ko ye batate huye bahut peeda ho rahi hai ki shri omkar thakur ji aaj 03:30 pm , 26/04/2012 ko apna nirjiv sharir chhodkar ab hamare beech me nahi hai. eshwar unki aatma ko shanti pradan kare.

mahendra sen ने कहा…

aankho me aansu liye dil par pathhar rakh kar , mujhe aap sabhi ko ye batate huye bahut peeda ho rahi hai ki shri omkar thakur ji aaj 03:30 pm , 26/04/2012 ko apna nirjiv sharir chhodkar ab hamare beech me nahi hai. eshwar unki aatma ko shanti pradan kare.

mukesh kumar soni ने कहा…

sir
mere priya guru shri thakur sir jee ko praman


mujhe bahut dukha huaa aaj hamare thakur sir


hamare beech me nahi rahe 26/04/2012 din guruwar


ram ram ram