सोमवार, 2 फ़रवरी 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र २७]

पवन बसंती संग जब,
उडती धूल अबीर
आम-बौर, महुआ-महक,
तन-मन करे अधीर

- किसलय
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5 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

पवन बसंती संग जब,
उडती धूल अबीर
आम-बौर, महुआ-महक,
तन-मन करे अधीर
विजय जी
आपने पंक्तियों के माध्यम से सचमुच बसंत रंग में रंग दिया . लाजबाब दोहा. धन्यवाद.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

पवन बसंती संग जब,
उडती धूल अबीर
आम-बौर, महुआ-महक,
तन-मन करे अधीर


बसंत ka लाजबाब दोहा......!

News Era ने कहा…

ati sundar doha

sandhyagupta ने कहा…

Basant ki agvani karti is sundar rachna ke liye badhai.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

महेंद्र मिश्र जी,हकीर जी,न्यूज एरा जी,संध्या गुप्ताजी,
सभी को अभिवंदन.
बासंती दोहे कि प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार.
- विजय