शनिवार, 31 जनवरी 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र २६]

(बसंत पंचमी पर विशेष )
ऋतु बसंत बिखराये जब,
उपवन में मकरंद ।
प्रणय-नाद कर चूसना,
भौंरे करें पसंद
- किसल

7 टिप्‍पणियां:

Girish Kumar Billore ने कहा…

vah ji
hatprabh hoon kya kahoon....?

Ashutosh ने कहा…

अच्छी रचना, साधुवाद स्वीकारें.

Ashutosh ने कहा…

aap kabhi hamare blog ke follower baniye,aapka swagat hai.

aarya ने कहा…

विजय जी
नमस्कार;
चार लाईनों में आपने पुरे सल् के उमंग को दर्शा दिया है, बधाई स्वीकार करें,
आर्यश्री पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद.
रत्नेश त्रिपाठी

Doobe ji ने कहा…

wah wah wah wah......

महेंद्र मिश्र.... ने कहा…

साधुवाद

Prem Farukhabadi ने कहा…

Vijay ji
bahut badhiya doha likha aapne
ऋतु बसंत बिखराये जब,उपवन में मकरंद ।
प्रणय-नाद कर चूसना,भौंरे करें पसंद ॥
भौंरे करें पसंद jhoomana aur mauj manana.
jahan dikhe fool daud unpe madrana.
kahe vijay kaviray apnao ye mantra.
bhaure jaisa bano manao ritu basant