शनिवार, 17 जनवरी 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र २२]


अभी भये न बरस भर,
पाकर तिरिया अंग ।
जन्मा जिस माँ-बाप ने,
नीक लगे न संग ॥
-किसलय

5 टिप्‍पणियां:

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

बेहतरीन सामयिक व्यंग्य भरा दोहा... किसलय जी, बधाई स्वीकारें...

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

बेहतरीन दोहा.बधाई.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

योगेन्द्र मौदगिल जी
अभिवंदन
आप ने मेर ब्लॉग पर आकर मेरी रचना पढ़ी
आभार
- विजय

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

महेंद्र भाई
आपने मेरा दोहा पढ़ कर टीप लिखी ,
आप सदैव स्नेह बाये रखें
-विजय

Ashutosh ने कहा…
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