शनिवार, 17 जनवरी 2009

दोहा श्रृंखला [दोहा क्र २२]


अभी भये न बरस भर,
पाकर तिरिया अंग ।
जन्मा जिस माँ-बाप ने,
नीक लगे न संग ॥
-किसलय

6 टिप्‍पणियां:

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

बेहतरीन सामयिक व्यंग्य भरा दोहा... किसलय जी, बधाई स्वीकारें...

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

बेहतरीन दोहा.बधाई.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

योगेन्द्र मौदगिल जी
अभिवंदन
आप ने मेर ब्लॉग पर आकर मेरी रचना पढ़ी
आभार
- विजय

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

महेंद्र भाई
आपने मेरा दोहा पढ़ कर टीप लिखी ,
आप सदैव स्नेह बाये रखें
-विजय

Ashutosh ने कहा…

aap ne bahut hi sundar kavita likhi hai .aap ki samvedna gajab ki hai. aap kabhi hamare blog par aaiye ,aap ka swagat hai.follower ban hame sahyog dijiye.

http://meridrishtise.blogspot.com

Ashutosh ने कहा…
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