संस्कारधानी जबलपुर की हरिशंकर परसाई से प्रारंम्भ व्यंग्य विधा के संवाहक ६३ वर्षीय डॉ. श्री राम ठाकुर "दादा" के विगत रात्रि निधन की खबर ने शहर और शहर के साहित्यकारों को स्तब्ध कर दिया. विगत सप्ताह तक सबके संपर्क में रहे डॉ दादा का अचानक दिवंगत होना अविश्सनीय लग रहा है.
गद्य, पद्य और व्यंग्य की १६ पुस्तकें लिखने वाले दादा म। प्र. साहित्य परिषद के "पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी" पुरस्कार, म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन के "वागीश्वरी" पुरस्कार एवं म.प्र. लेखक संघ के "पुष्कर जोशी" सम्मान से अलंकृत थे. डॉ. श्री राम ठाकुर "दादा" देश के विभिन्न नगरों में आयोजित कवि सम्मेलनों, गोष्ठियों एवं समारोहों में संस्कारधानी का गौरव बढ़ा चुके हैं. आज दिनांक ३० दिसंबर २००८ की पूर्वान्ह रानीताल मुक्तिधाम में नमित हृदय से उनको अंतिम विदाई दी गई.
अंतिम संस्कार के समय देश और नगर के ख्यातिलब्ध साहित्यकार प्रो.ज्ञान रंजन जी, डॉ. मलय, कैलास नारद, दर्शनाचार्य जी, आचार्य भगवत दुबे, डॉ.गार्गी शरण मिश्र "मराल", डॉ. कुन्दन सिंह परिहार, मोहन शशि, डॉ. राजकुमार सुमित्र, कुँवर प्रेमिल, साज जबलपुरी, रमेश सैनी, विजय तिवारी "किसलय", राजेन्द्र दानी, राजेन्द्र चंन्द्रकांत राय, राजेश पाठक "प्रवीण", गुरनाम सिंह रीहल, राजीव गुप्ता, गुप्तेशवर द्वारका गुप्त, प्रदीप शशांक, धीरेन्द्र बाबू खरे, अरुण यादव, आशुतोष असर, आनंद कृष्ण, विजय नेमा अनुज आदि उपस्थित स्वजनों, परिजनों ने चंद क्षण मौन रहकर श्रद्धांजलि अर्पित की.
-विजय तिवारी "किसलय"
गद्य, पद्य और व्यंग्य की १६ पुस्तकें लिखने वाले दादा म। प्र. साहित्य परिषद के "पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी" पुरस्कार, म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन के "वागीश्वरी" पुरस्कार एवं म.प्र. लेखक संघ के "पुष्कर जोशी" सम्मान से अलंकृत थे. डॉ. श्री राम ठाकुर "दादा" देश के विभिन्न नगरों में आयोजित कवि सम्मेलनों, गोष्ठियों एवं समारोहों में संस्कारधानी का गौरव बढ़ा चुके हैं. आज दिनांक ३० दिसंबर २००८ की पूर्वान्ह रानीताल मुक्तिधाम में नमित हृदय से उनको अंतिम विदाई दी गई.
अंतिम संस्कार के समय देश और नगर के ख्यातिलब्ध साहित्यकार प्रो.ज्ञान रंजन जी, डॉ. मलय, कैलास नारद, दर्शनाचार्य जी, आचार्य भगवत दुबे, डॉ.गार्गी शरण मिश्र "मराल", डॉ. कुन्दन सिंह परिहार, मोहन शशि, डॉ. राजकुमार सुमित्र, कुँवर प्रेमिल, साज जबलपुरी, रमेश सैनी, विजय तिवारी "किसलय", राजेन्द्र दानी, राजेन्द्र चंन्द्रकांत राय, राजेश पाठक "प्रवीण", गुरनाम सिंह रीहल, राजीव गुप्ता, गुप्तेशवर द्वारका गुप्त, प्रदीप शशांक, धीरेन्द्र बाबू खरे, अरुण यादव, आशुतोष असर, आनंद कृष्ण, विजय नेमा अनुज आदि उपस्थित स्वजनों, परिजनों ने चंद क्षण मौन रहकर श्रद्धांजलि अर्पित की.
-विजय तिवारी "किसलय"
8 टिप्पणियां:
हम भी शोकाकुल हैं
विनत श्रद्धान्जलिया
नमस्कार
निश्चित रूप से दादा का असामयिक निधन हम सब के लिए एक वज्राघात से कम नहीं है .
-विजय
भाई विजय जी
ओह बड़ा दुख समाचार है . देश के जाने माने व्यग्यकार श्रीराम ठाकुर दादा के निधन से अपूरणीय क्षति संस्कार धानी को हुई है जिसकी पूर्ति सम्भव नही है . मै अपनी और से और संस्था मध्यप्रदेश जनहित संरक्षण समिति की और से विनम्र श्रध्धांजलि अर्पित करता हूँ .
महेंद्र मिश्रा,जबलपुर.
भाई मिश्रा जी
यथार्थ में संस्कारधानी
के लिए अपूर्णीय क्षति है
- विजय
Mitr
aapane namo ka ullekh kyo kiya
नव वर्ष के आगमन पर मेरी ओर से शुभकामनाएं स्वीकार कर अनुग्रहीत करें /
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