गुरुवार, 20 नवंबर 2008

दोहा- ७

जब शिक्षित
हो पाये न ,
ख़ुद अपनी
संतान।
जीवन सुखमय
हो सके,
दें हम
ऐसा ज्ञान॥
- किसलय

6 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बढिया दोहा प्रेषित किया है।

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

परम जीत बाली जी
नमस्कार
आप मेरे ब्लॉग तक आए आपने दोहा पढा
आपको अच्छा लगा ,
मुझे खुशी हुई
आभार
आपका
विजय

Renu Sharma ने कहा…

shukriya .
bahut achchha likha hai .

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

आदरणीया रेणुजी
नमस्कार
प्राथमतः आपके एस ब्लॉग
में आने के लिए आभार

उम्मीद है हमारी साहित्यिक
समीपता बरकरार रहेगी

आपका
विजय

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

बढ़िया रचना के लिये बधाई स्वीकारें मेरे भाई

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

योगेन्द्र मौदगिल
नमस्कार

आपके द्बारा मेरे ब्लॉग पर
आकर दोहा पढ़ना और उस
पर अपना अभिमत देना ,
बहुत अच्छा लगा

हम आपके आभारी हैं

आपका
विजय तिवारी " किसलय "
जबलपुर