बुधवार, 19 नवंबर 2008

दोहा- ००६

अज्ञानी के
निकट धन ,

ज्ञानी के,

घर झूठ ।

खल बलशाली,

बने तो ,

सुख जाएगा

रूठ ..........

- किसलय

6 टिप्‍पणियां:

गौतम राजऋषि ने कहा…

क्या बात है किसलय जी...लाजवाब

Unknown ने कहा…

sundar

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

भाई गौतम जी
नमस्कार

आप मेरे ब्लॉग पर आए
अच्छा लगा
आभार
आपका
विजय

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

ब्लॉग पत्रकार जी
नमस्कार

आभार
स्वीकारें
आपका
विजय

समयचक्र ने कहा…

अज्ञानी के
निकट धन,
ज्ञानी के,
घर झूठ
Bahut hi umda prastuti. dhanyawad.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

भाई महेंद्र जी
नमस्कार
मैंने दोहा श्रृंख्ला शुरू की है,
सोचता हूँ इसे जारी रखूँ
आप सब का स्नेह मिलेगा
ऐसी उम्मीद है
आपका
विजय