शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2008

व्यंग्यशिल्पी डॉ. श्री राम ठाकुर 'दादा' की साहित्य यात्रा

संस्कारधानी जबलपुर ही नहीं अपितु प्रदेश एवं देश के ख्यातिलब्ध व्यंग्यकार डॉ। श्री राम ठाकुर 'दादा' सरलता , सहजता और विनम्रता की प्रतिमूर्ति हैं । साहित्यिक ऊँचाइयों की ओर अबाधगति से अग्रसर, हिन्दी लेखन की बहुआयमी प्रतिभा के धनी डॉ। श्री राम ठाकुर 'दादा' का सभी विधाओं में समानाधिकार है. स्मित, मृदुभाषी, ऊँची कद-काठी और सादगीपरक परिवेश उनके वरिष्ठ साहित्यकार होते हुए भी उन्हें हम सभी अपने निकट ही पाते हैं. अपनी लगन कर्तव्यनिष्ठा एवं सृजन साधना से ही आज डॉ. श्री राम ठाकुर 'दादा' इस मंजिल तक पहुंचे हैं जहाँ सच्चा साहित्यकार उन्हें आदरभाव से देखता है .
डॉ श्री राम ठाकुर 'दादा' का सामान्य से साहित्यकार, आम से ख़ास, गाँव से महानगरीय सफर आज जितना उपलब्धिमय है, उसके पीछे उनकी कठिन तपस्या और संघर्ष की लम्बी कहानी भी है। ग्राम्यांचल बारंगी, होशंगाबाद में जन्मे डॉ. श्री राम ठाकुर 'दादा' एम. ए. ,पी-एच. डी. (संस्कृत) और हिन्दी सहित्य रत्न हैं . अनेक पत्रिकाओं का सम्पादन कर चुके 'दादा' की रचनाएँ विगत ४० वर्षो से समाचार पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी , दूरदर्शन, डायनामिक मीडिया, सिटी केबल पर प्रकाशित-प्रसारित होती चली आ रही हैं .
डॉ। श्री राम ठाकुर 'दादा' का मध्य प्रदेश के रचना धर्मियों की संपर्क संचयिका 'हस्ताक्षर' सृजनधर्मी , साहित्य अकादमी की हू इज हू ऑफ़ इंडिया राइटर्स , एशिया इंटरनेशनल की लर्नेड इंडिया, हिन्दी सहित्यकार सन्दर्भ कोष, हू इज हू इन मध्य प्रदेश हिन्दी आदि परिचय ग्रंथों में उल्लेख होना इनकी लोकप्रियता को प्रदर्शित करता है.
अब तक इनकी विभिन्न विधाओं में लिखी गई पुस्तकें (१) दादा के छक्के (२) अभिमन्यु का सत्ता व्यूह (३) ऐसा भी होता है (४) पच्चीस घंटे (५) सृजन परिवेश (६) मेरी प्रतिनिधि व्यंग्य रचनाएँ (७) प से पर्स, पिल्ला और पति (८) दादा की रेल यात्रा (९) अफसर को नहीं दोष गुसांई (१०) स्वातंत्र्योत्तर संस्कृत काव्य में हास्य व्यंग्य (११) आत्म परिवेश (१२) दांत दिखाने के (१३) मेरी प्रिय छब्बीस कहानियाँ (१४) मेरी एक सौ इक्कीस लघुकथाएँ (१५) बात पते की (१६) मेरी इक्यावन रचनाएँ , पाठकों के समक्ष उपलब्ध हैं ।
आपको अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों से अलंकृत किए जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी रहेगा, तदाशय की हमारी शुभ भावनाएं सदैव उनके साथ हैं । इन्हें प्राप्त होने वाले पुरस्कारों एवं सम्मानों में म. प्र. साहित्य परिषद् का पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी पुरस्कार , म. प्र. साहित्य हिन्दी साहित्य सम्मेलन का बागीश्वरी पुरस्कार, म. प्र. लेखक संघ का पुष्कर जोशी सम्मान , सृजन सम्मान संस्था रायपुर का लघुकथा गौरव सम्मान, अखिल भारतीय अम्बिका प्रसाद दिव्य स्मृति रजत अलंकरण प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं . इनके अतिरिक्त देश के विभिन्न नगरों में आयोजित कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ, गोष्ठियों व समारोहों में व्याख्यान आदि इनकी उपलब्धियों में गिना जा सकता है।
डॉ। श्री राम ठाकुर 'दादा' सेवा निवृत्ति के उपरांत स्वतंत्र लेखन से हिन्दी साहित्य को और समृद्ध करने हेतु सतत प्रयासरत हैं.
आपका स्थायी निवास है :-
३४, विवेकानंद नगर, यादव कालोनी, जबलपुर, (म। प्र। ) डाक सूचकांक- ४८२००२ दूरभाष- ०७६१-२४१६१०० एवं मोबाइल- ०९४२५३८५४०२ ।
हिन्दी साहित्य संगम आपके यश- कीर्तिमय जीवन की अशेष कामनाएँ करता है।

प्रस्तुति:- डॉ विजय तिवारी " किसलय "
आज हम यहाँ पर डॉ। श्री राम ठाकुर 'दादा' की २ लघु कथाएँ भी पाठकों के लिए उपलब्ध करा रहे हैं:-

मातहत

वे दोनों साथ साथ काम करते हैं .
उमेश हिन्दी अधिकारी है और दिनेश हिन्दी अनुवादक .
हिन्दी अनुवादक स्थपित साहित्यकार हैं । हिन्दी अधिकारी उनसे प्रेरणा लेकर साहित्य सृजन कर रहे हैं . हिन्दी दिवस पर अनुवादक को प्रांतीय स्टार का पुरस्कार मिल गया . कार्यालय में उसे बधाई देने वालों का ताँता लग गया . बधाई देने वाले उस कमरे में विद्यमान हिन्दी अधिकारी से भी हाथ मिल लेते थे . हिन्दी अधिकारी उनसे यह कहना नहीं भूलते थे की वह मेरे अंडर में कम करता है .

कुशल क्षेम

मुझे कई दिनों बाद एक सहपाठी रस्ते में मिला . उसने अपनी बाइक रोकी , मैंने अपन स्कूटर . उसने पूछ - क्या हाल हैं ? मैंने कहा - सब ठीक है , आपकी नौकरी कैसी चल रही है?
वह बोला - पिछले महीने रिटायर हो गया हूँ, आप भी हो गए होंगे ?
मैंने कहा - एक साल बाकी है .
उसने फौरन बाइक स्टार्ट की और आगे बढ़ गया .
:- श्री राम ठाकुर दादा
सम्पूर्ण प्रस्तुति :- विजय तिवारी " किसलय "

4 टिप्‍पणियां:

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

जबलपुर संस्कारधानी के एक सुपरिचित नाम है देश के ख्यातिलब्ध व्यंग्यकार डॉ.श्री राम ठाकुर 'दादा' सरलता , सहजता और विनम्रता की प्रतिमूर्ति हैं. उनके संबध में जानकारी देने के लिए आभार.

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

महेंद्र भाई
सादर अभिवंदन
आपने ने ही सिखाया है
की कुछ सार्थक लिखना ही चाहिए
वाकई डॉ दादा हमारे जबलपुर की शान हैं हमें
उनके कृतित्व पर गर्व है, वे सदा अच्छा लिखते रहें हम
ईश्वर से प्रार्थना करते हैं
आपका
विजय

Girish Kumar Billore ने कहा…

achchhee pahal ke lie sadhuvad
SADAR

Hasya ने कहा…

Vijay tiwariji.bahut bahut dhanyawad aapke prem aur samman ke liye nishabd hu.plz call me i m son of dada.9039128771