शनिवार, 4 अक्तूबर 2008

संपर्कों की अद्भुत सुविधा, जग में अंतर जाल

जुड़ते ही इस महातंत्र से, होता है ये भान
सारे जग की गतिविधियों की,ये सचमुच है ख़ान
पल पल में उपलब्ध कराए, दुनिया भर का हाल
संपर्कों की अद्भुत सुविधा, जग में अंतर जाल

सात समुंदर दूर बसे हों, या कोई अंजान
जादूगर के जादू जैसा, ये कंप्यूटर ज्ञान
दुर्लभ - सुलभ सूचनाओं का, ज़रिया बड़ा विशाल
संपर्कों की अद्भुत सुविधा, जग में अंतर जाल

घर बैठे अपनों को देखो, कर लो सबसे बात
अपने सृजन, ज्ञान, कौशल से, हो जाओ विख्यात
तकनीकी हाथों से किस्मत, लिख लो अपने भाल
संपर्कों की अद्भुत सुविधा, जग में अंतर जाल

हो सकते न कभी कहीं पर, दीन, हीन, लाचार
बिना नकद पैसों के कर लो, अपना कारोबार
काम निपट जाएँ घर बैठे, मचता नहीं वबाल
संपर्कों की अद्भुत सुविधा, जग में अंतर जाल

प्रतिभा, विज्ञापन, उत्पादन, पाते वृहद प्रचार
अल्पकाल में जनप्रिय होते,व्यक्ति और व्यापार
श्रेष्ठ बनें इसके बलबूते, रहते हैं खुशहाल
संपर्कों की अद्भुत सुविधा, जग में अंतर जाल

- डॉ. विजय तिवारी " किसलय "

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

bhaut saral bhasha mein apne sach byaani ki hai
acha laga

sakhi