कटंगी जबलपुर के झुर्रे के रसगुल्ले दूर दूर तक प्रसिद्द हैं
(खोवा वाली गुलाब जामुन) दूर दूर तक प्रसिद्द हैं.
आज
दिनांक २९ दिसंबर को मैं कटंगी पहुँचा और वहाँ की सबसे पुरानी रसगुल्लों की दुकान पर गया.
लग
भाग १०० वर्ष पूर्व वहाँ श्री झुर्रे जैन जी ने यह दुकान खोली थी. आज भी उन्हीं के
नाम से ”झुर्रे के रसगुल्ले“ श्रेष्ठ रसगुल्लों का पर्याय बन गए
हैं.
आज जब
मैं वहाँ पहुँचा तो
उनके पौत्र श्री प्रदीप जैन जी दुकान
पर बैठे हुए थे जो पढ़े लिखे होने के बाद
भी पैतृक धंधे में ही लगे रहना चाहते हैं. उनके पिता जी स्व. गुलाब चाँद
जैन भी यही धंधा किया करते थे. चूंकि मैं
भी कटंगी के रसगुल्लों का शौकीन हूँ इसलिए
अपने लोभ का संवरण नहीं कर पाया और वहाँ पहुँच
गया. फिर
क्या था वहाँ ‘किंग साईज’ रसगुल्ले
खाए भी और
बाँध कर घर
भी ले आया.
आप
कभी जबलपुर आयें तो
झुर्रे के रसगुल्लों
को जरूर खाएं , भले ही आपको जबलपुर से
३५-४० किलोमीटर दूर क्यों न जाना पड़े.
प्रस्तुति
:
विजय
तिवारी “किसलय”
1 टिप्पणी:
में पिछले महीने जून में गया था वाकई व्व गुलाब जामुन जब रबड़ी के साथ खाएं तो आनन्द आ गया
ऐसे ही गुलाब जामुन हमारे सिहोर(भोपाल) के निकट भाऊखेड़ी गाँव मे भी मिलते है जो कि बहुत प्रशिद्ध है
ओर उनका स्वाद भी निराला ही है
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