अमृत घट छलकाते आये
हैं बादल
[वर्तिका की
काव्य गोष्ठी संपन्न]
विगत दिवस
वर्तिका की काव्य गोष्ठी में अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ अपने गीत ‘अवनि से अम्बर तक
छाये हैं बादल, अमृत घट छलकाते आये हैं बादल’ को गुनगुनाकर
आचार्य भगवत दुबे ने गोष्ठी में चार चाँद
लगा दिए. वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पधारे श्री मोहन शशि ने
उत्तराखंड त्रासदी पर ‘अहंकार भरे पक्के निर्माण – सह न सके लहरों के बाण’ जैसी
पंक्तियों से श्रोताओं की आँखें नम कर दीं. गोष्ठी के प्रारम्भ में वर्तिका के समन्वक श्री एम. एल.
बहोरिया अनीस ने कार्यक्रमों को शास्वत बनाये रखने का संकल्प दोहराते हुए स्व. साज़
को याद किया.
डॉ- विजय तिवारी "किसलय", श्री मोहन शशि (अभिनन्दित ), आचार्य भगवत दुबे, एम. एल. बहोरिया "अनीस", इंजी- विवेक रंजन श्रीवास्तव एवं विजय नेम "अनुज" |
इस अवसर पर सुनीता मिश्रा सुनीत, अरविन्द यादव, शेख निजामी, एवं
गोपाल कोरी को उनके जन्म दिवस के उपलक्ष्य में वर्तिका के इंजी. विवेक रंजन
श्रीवास्तव, विजय नेमा अनुज, सलमा जमाल सहित मंचासीन अतिथियों द्वारा अभिनन्दन
पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया.
आज की गोष्ठी
में मनोज शुक्ल मनोज, देवेन्द्र तिवारी रत्नेश, इंद्र बहादुर श्रीवास्तव, प्रभा
पण्डे पुरनम, अनूदित साज़, प्रमोद तिवारी मुनि, प्रभा विश्वकर्मा शील, नारायण
नामदेव, ममता जबलपुरी, गुंजन भारती, सुभाष जैन शलभ, बसंत सिंह ठाकुर, मनोहर शर्मा
माया की रचनाओं ने भी अपनी प्रतिनिधि रचनाओं से श्रोताओं को बांधे रखा. अंत में
अशोक श्रीवास्तव सिफ़र द्वारा अतिथियों के कर कमलों से मासिक काव्य पटल का अनावरण
कराया गया एवं सुशील श्रीवास्तव ने सभी की उपस्थिति के प्रति आभार व्यक्त किया.
प्रस्तुति:-
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