रविवार, 22 मई 2011

एक ख़ुशी- एक ग़म


       प्रो. अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त.
 


(प्रो. ए. डी. एन. बाजपेयी)

                                              रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर में पदस्थ अर्थशात्र के प्रोफ़ेसर अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में शीघ्र ही पदभार ग्रहण करेंगे. हिमाचल प्रदेश के एक मात्र विश्वविद्यालय के कुलपति का राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षरित नियुक्ति आदेश उन तक पहुँच चुका है. ज्ञातव्य है कि
प्रो. ए. डी. एन. बाजपेयी एक समय अवधेश प्रताप सिंह रीवा विश्वविद्यालय सहित चित्रकूट विश्वविद्यालय का दोहरा कार्यभार सम्हाल चुके हैं. ओजस्वी व्यक्तित्व एवं विशिष्ट कार्यशैली के कारण वे सदैव भीड़ से हटकर दिखाई दिए हैं. अर्थशास्त्र जैसे जटिल विषय के महारथी होने के साथ ही प्रो. बाजपेयी एक अच्छे साहित्यकार और कवि भी हैं. मुझे ख़ुशी है कि मुझे उनका सानिध्य प्राप्त हुआ है.  उनके सुरीले कंठ और भावाभिव्यक्ति का मैं कायल हूँ. संस्कारधानी जबलपुर ऐसे व्यक्तित्व को चिरस्मृतियों में रखेगा.  हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय  के कुलपति बनने पर उन्हें हिंदी साहित्य संगम जबलपुर की अशेष
शुभ भावनाएँ.

                   कुछ दिन पूर्व मेरे द्वारा रिकार्ड की गयी प्रो. अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी की एक कविता आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है:-


रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के पूर्व कुलपति प्रो. आशुतोष श्रीवास्तव का निधन
 
(प्रो. आशुतोष श्रीवास्तव)
              रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के पूर्व कुलपति प्रो. आशुतोष श्रीवास्तव कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे. दिनांक २१ मई ११ को उनके निधन से संस्कारधानी  जबलपुर का शिक्षा, साहित्य एवं उर्दु जगत स्तब्ध रह गया. प्रो. श्रीवास्तव जबलपुर के पूर्व महापौर एवं वरिष्ठ साहित्यकार स्वर्गीय श्री पन्नालाल श्रीवास्तव "नूर" के सुपुत्र थे. यह क्रूर नियति का कहर ही कहलायेगा कि उनके अनुज श्री विश्वतोश श्रीवास्तव (ओम जी ) का पिछले रविवार दिनांक १५ मई २०११ को अचानक हुए हृदयाघात से निधन हुआ है.
               प्रो. श्रीवास्तव रा. दु. वि. वि. जबलपुर के रसायनशास्त्र विभागाध्यक्ष थे. कुछ समय पूर्व उन्हें रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति का प्रभार सौंपा जाना उनकी अपनी विलक्षण प्रतिभा का ही परिचायक था.  

( विजय तिवारी "किसलय" एवं प्रो. आशुतोष श्रीवास्तव)
                                   प्रो. श्रीवास्तव को फारसी, और उर्दु साहित्य का गहन ज्ञान होने के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी पर भी बराबर नियंत्रण था. इनकी अद्भुत प्रतिभा को साहित्य और शिक्षा जगत सदैव याद रखेगा.



       मैं स्वयं उनकी अभिवक्ति, लहजे और शब्द सामर्थ्य का हमेशा प्रशंसक रहा हूँ. मैं जानता हूँ कि जबलपुर वासी अपने अजीज "आशुतोष" की कमी एक लम्बे अरसे तक महसूस करेंगे. हिंदी साहित्य संगम जबलपुर की उन्हें विनम्र  श्रद्धांजली.


प्रस्तुति-
















डॉ. विजय तिवारी "किसलय"




7 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

प्रोफ़ेसर अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ.

Udan Tashtari ने कहा…

प्रो. आशुतोष श्रीवास्तव के निधन का दुखद समाचार- श्रृद्धांजलि!!!

समयचक्र ने कहा…

प्रो. आशुतोष श्रीवास्तव के निधन का समाचार सुनकर हतप्रद हूँ ...उनके निधन से जबलपुर संस्कारधानी के शिक्षा क्षेत्र को अपूरणीय क्षति हुई है विनम श्रद्धांजलि ...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

Aabhar.

............
खुशहाली का विज्ञान!
ये है ब्लॉग का मनी सूत्र!

Dr Varsha Singh ने कहा…

प्रोफ़ेसर अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी जी को हार्दिक बधाई.

ज्योति सिंह ने कहा…

प्रोफ़ेसर अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी जी को हार्दिक बधाई.

ज्योति सिंह ने कहा…

pro.aashutosh ke nidhan par bahut dukh hua ,ishwar unki aatma ko shanti pradaan kare .