रविवार, 22 अगस्त 2010

विवेचना ने स्व. हरिशंकर परसाई का जन्म दिवस मनाया

विवेचना द्वारा आयोजित  स्व. हरिशंकर परसाई के  जन्म दिवस पर  प्रो. हनुमान वर्मा, प्रो. ज्ञानरंजन, डॉ. हरि भटनागर, प्रो. अरुण कुमार, अमृत लाल वेगड़, कामता सागर, रजनीकांत यादव,  आशुतोष श्रीवास्तव , रामेश्वर नीखरा, प्रहलाद पटेल, राजेन्द्र चंद्रकांत राय, मदन तिवारी, राजेन्द्र दानी, बसंत मिश्र, रमेश सैनी   सहित नगर के गण्यमान साहित्यकारों ने परसाई  और  उनके  व्यक्तित्व एवं कृतित्व को याद किया. इस अवसर पर ज्ञान जी ने  साहित्य की निरंतरता की गति  के सन्दर्भ में कहा कि  परसाई के बाद स्थिति सोचनीय है. साहित्य की लगभग सभी विधाओं का यही हाल है.  प्रो. अरुणकुमार ने साहित्यकार से  जनप्रिय साहित्यकार और फिर जनता का साहित्यकार के रूप में परसाई जी को प्रस्तुत किया. पूर्व सांसद श्री रामेश्वर नीखरा ने अपने विद्यार्थी कालीन संस्मरण सुनाते हुये बताया कि वे उनका कालम " सुनो भाई साधू " अक्सर पढ़ा करते थे. विवेचना के हिमांशु राय ने परसाई की कृतियों पर आधारित  अनेक संस्मरणों का उल्लेख किया प्रो. हनुमान वर्मा ने अपने मित्र परसाई की विभिन्न व्यक्तिगत बातों का उल्लेख करते हुये उन्हें जनता की आवाज को उठाने वाला और जनता के दुःख-दर्द को लेखन और अखवार के माध्यम से उजागर करने वाला सचेतक बताया.
               इस अवसर पर श्री  संजय गर्ग द्वारा अभिनीत   "शवयात्रा  का तौलिया" का एकल नाट्य मंचन भी किया गया. विवेचना के वसंत काशीकर, पंकज स्वामी, अरुण यादव आदि की सक्रियता सराहनीय रही.अंत  में विवेचना के श्री बांके बिहारी ब्यौहार के आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ.
प्रस्तुति-
- विजय तिवारी " किसलय "
  श्री महेंद्र मिश्र जी की पोस्ट "प्रसिद्द व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई जी का जन्मदिवस"



http://mahendra-mishra1.blogspot.com/2010/08/blog-post_22.html

1 टिप्पणी:

समयचक्र ने कहा…

श्रद्धेय विजय भाई,
संस्कारधानी में विवेचना के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम के बारे में अपने बढ़िया जानकारी दी है .
व्यंग्य विधा के कलमकार प्रसिद्द व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई जी के जन्म दिवस अवसर पर शत शत नमन करता हूँ . ब्लॉग में पोस्ट का सन्दर्भ अंकित करने के लिए आभारी हूँ ....
महेंद्र मिश्र