रक्षाबंधन का पावन पर्व निकट है.
बहनों के लिए निश्चित रूप से ये सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना गया है .
भाईयों के लिए भी ये दिन बड़े गर्व का होता है.
बहनों के लिए निश्चित रूप से ये सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना गया है .
भाईयों के लिए भी ये दिन बड़े गर्व का होता है.
बस कुछ चंद पंक्तियाँ बहनों की ओर से मेरे दिमाग में आई
और
लेखनी के माध्यम से
कागज़ पर उकेर दी.
सभी बहनों को मेरा स्नेह - स्नेह- स्नेह --
और
लेखनी के माध्यम से
कागज़ पर उकेर दी.
सभी बहनों को मेरा स्नेह - स्नेह- स्नेह --
रक्षासूत्र
हर्षित मन रहता नित मेरा,
रिश्ता भाई- बहिन का पाकर .
नयन कभी संतृप्त न होते,
न्यारे भैया के घर जाकर ..
दर्पण जैसे झूठ न बोले,
नदिया ज्यों निर्मल जल देती.
चन्दन की शीतलता से मैं,
तुलना भाई की कर लेती ..
रहे याद में भाई ऐसे,
वेदों की मनबसी ऋचायें .
दीपक सी उज्ज्वल स्मृतियाँ,
सुमन सदृश मन को महकायेँ ..
धागा कच्चा, बंधन पक्के,
दीर्घायु तक नहीं भुलाना .
क्षिति पर जब तक मेरा जीवन,
तब तक रक्षासूत्र बँधाना ..
----०००----
- विजय तिवारी " किसलय "
4 टिप्पणियां:
bahut sundar prastuti....
एक बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
बहुत सुन्दर प्रेम भरी अभिव्यक्ति ..
बहुत पवित्र प्रस्तुति
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