गुरुवार, 13 मई 2010

२५ एवं २६ अप्रेल २०१० को जबलपुर में संपन्न दो दिवसीय ऐतिहासिक कवि दरबार - एक रिपोर्ट

प्रथम दिवस की रिपोर्ट :-   
 आदि कवि बाल्मीकि से लेकर नए दौर के युवा कवि व शायर दुष्यंत कुमार तक सब एक मंच पर काव्यपाठ करते नजर आए। इन सबके काव्यपाठ ने ऐसा समां बांधा कि श्रोता मुग्ध हो गए। वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी ने आदि कवि बाल्मीकि के रूप में काव्यपाठ का श्रीगणेश किया। उन्होंने देववाणी संस्कृत में रामायण का ऐसा पाठ किया कि हर कोई त्रेतायुग में गोते लगाने लगा। हनुमानजी द्वारा अशोक वाटिका में जानकी के समक्ष मुंदरी प्रस्तुत करने का प्रसंग सबको भाया। साज जबलपुरी ने अमीर खुसरो को जीवंत करते हुए जैसे ही गोरी सोवे सेज पर डारे मुख पर केश चल खुसरो घर आपने रैन भई चहुंदेश का पाठ किया तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। खुसरो दरिया प्रेम का उल्टी बाकी धार जो उतरे सो डूब गया जो सो पार, इन पंक्तियों ने जमकर वाहवाही लूटी। युवा शायर सूरज राय सूरज ने दुष्यंत को मंच पर सजीव करते हुए अलहदा अंदाज में श्रोताओं को आकर्षित किया। ये सारा जिस्म थक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा। मैं सजदे में नहीं था आप को धोखा हुआ होगा। दुष्यंत के इस अंदाज ने महफिल में जान फूंक दी। प्रो. जवाहरलाल चौरसिया तरुण ने हरिवंश राय बच्चन की शैली में मधुशाला का सस्वर पाठ किया। मंदिर मस्जिद बैर कराते मेल कराती मधुशाला और मैं कायस्थ कुलोदभव पुरखों ने मेरे इतना ढाला है तन के लहू  में पचहत्तर प्रतिशत हाला। पुश्तैनी अधिकार मुझे है मदिरालय के आंगन पर इन पंक्तियों ने श्रोताओं को विभोर कर दिया।
( कवि-दरबार  में  डॉ. विजय तिवारी "किसलय" काव्य-पाठ करते हुये )
संस्कारधानी की शान केशव प्रसाद पाठक के अंदाज में किया गया काव्यपाठ खूब सराहा गया। हल्की फुहार लाया हूं, आसमां से उतार लाया हूं, नन्हें पौधों मैं तुम्हारी खातिर जिंदगी को पुकार लाया हूं। इरफान झांस्वी ने पद्माकर के अंदाज को सजीव किया। दीपक तिवारी रामावतार त्यागी की कविता के साथ मंच पर छा गए। रुद्रदत्त दुबे ने इसुरी की तान छेड़ दी। जो तुम छैलछला हो जाते परे उंगलियन. इन पंक्तियों को सुनकर श्रोतागण ने खूब आनंद लाभ उठाया। मोहन शशि राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर की भूमिका पर खरे उतरे। उन्होंने काव्यपाठ की शुरुआत दिनकर के अंदाज में स्वरचित कविता से की। अंधों आंखें खोलो सामने युग महावीर] कुछ इस अंदाज में क्रांतिकारी कवि तरुण सागर जी का इस्तकबाल किया गया। अभिमन्यु जैन श्रीकृष्ण सरल देश भक्ति से परिपूर्ण रचना हम हिन्दुस्तानी का दिल से पाठ किया। मानतुंगाचार्य, जगनिक, कबीरदास, तुलसीदास, मीराबाई, घनानंद, भूषण, गिरधर, रसखान, भारतेंदु हरिशचंद, ख्याली राम, कंचन कुंअरि, नरोत्तम दास, मैथिलीशरण गुप्त, जगन्नाथ दास रत्नाकर और ओमप्रकाश आदित्य की कविताओं का पाठ  चित्ताकार्षक  रहा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उद्योगपति विश्वनाथ दुबे ने इस ऐतिहासिक कवि सम्मेलन की सराहना करते हुए इस तरह के प्रयास को परंपरा के रूप में आगे बढ़ाने की बात कही। उन्होंने कहा कि जब मैं अपनी बेटी से बात करता हूं तो जनरेशन गैप सामने आता है। हर दो पीढ़ी के साथ यही बात समस्या बतौर सामने आती है, लेकिन आदि कवि बाल्मीक से लेकर बाद के जितने कवियों ने रचनाएं लिखीं वे हर युग में उतनी प्रासंगिक हैं। मध्यप्रदेश आंचलिक साहित्यकार परिषद, गुंजन कला सदन और सकल जैन समाज महिला परिषद के तत्वावधान में आयोजित यह कवि सम्मेलन सालों साल याद रहेगा।
श्रोताओं की पंक्ति में सबसे आगे बैठे राजकुमार सुमित्र ने केशव पाठक के काव्यपाठ को प्रस्तुत करने वाले सज्जन की दिल से तारीफ की। उन्होंने भावविह्वल होकर कहा कि केशव पाठक की याद ताजा हो गई। उनके न रहने के इतने सालों बाद उनका इस तरीके से किया गया स्मरण सच्ची आदरांजलि है। पूर्व कुलपति प्रो आशुतोष श्रीवास्तव राजबहादुर सिंह, मदन तिवारी, कामता सागर सहित अन्य ने इस आयोजन को मील का पत्थर निरूपित किया। ( आलेख -  साभार दैनिक भास्कर , जबलपुर )  

विजय तिवारी 'किसलय' द्वारा 
 स्व. शैल चतुर्वेदी की रचना  " चल गई " के
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प्रस्तुति:-



- विजय तिवारी "किसलय"

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

आनन्द आ गया इस अभिनव प्रयास की रिपोर्ट पढ़कर विजय भाई और फिर शैल जी को आपके स्वर में सुन पुरानी याद ताजा हुई मानस भवन में जब शैल जी पधारे थे.

यह कार्यक्रम जबलपुर में कहाँ पर हुआ?

shikha varshney ने कहा…

Bahut achcha laga ye sab padhkar ..shukriya vijay ji

hindi-nikash.blogspot.com ने कहा…

भाई साहब
आपने शैल चतुर्वेदी के रूप में दुसरे दिन काव्य-पाठ किया था. इस पूरी रिपोर्ट में कुछ नाम अवश्य छूट गए है किन्तु रिपोर्ट बढ़िया है...... जो नाम छूटे हैं उनमें से एक नाम छोड़कर बाकी सब महान और बड़े नाम हैं. इन बड़े नामों का उल्लेख तो होना ही चाहिए था.... .......................