सोमवार, 10 मई 2010

दोहा श्रृंखला (दोहा क्रमांक - ८५)

आपस में मिलकर गले,
जगा दिलों में प्यार .
सारे जग में बाँटिये,
खुशियों के उपहार ..

- विजय तिवारी " किसलय "

7 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

उत्तम संदेश!!

मनोज कुमार ने कहा…

उम्दा!!

समयचक्र ने कहा…

काफी अंतराल के बाद ८४ के बाद ८५ वां दोहा पढ़ने मिल रहा है ...बहुत सुन्दर पंडितजी वाह

kshama ने कहा…

Pichale kuchh dinon se man zara udas ho raha tha..ya doha padh,sukun mila!

Gautam RK ने कहा…

Bahut Sundar aur Sandeshatmak DOHA hai VIJAY JI..

ABHAR Sweekaren!!



"RAM"

अरुणेश मिश्र ने कहा…
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विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…
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