क़र्ज़ माँ का है बड़ा,
जानते ये हम सभी .
हैं बहुत उपकार इसके,
हम न गिन सकते कभी ..
कष्ट में देखे हमें तो,
रोएँ इसके भी नयन .
सारे दिन की छोड़िए,
रात न करती शयन ..
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आज भी सारे जहां का ,
एक ही मंतव्य है .
मातृ सेवा हर युगों का,
श्रेष्ठतम कर्तव्य है ..
ईशभक्ति में न शक्ति,
माँ की सेवा में जो है.
स्वर्ग न आनंद देता,
मातृ सेवा में वो है ..
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अपनी माँ को भूलता जो,
वह बड़ा ख़ुदग़र्ज़ है.
मातृ सेवा इस जहां में,
हर मनुज का फ़र्ज़ है..
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- विजय तिवारी "किसलय"
जबलपुर, इंडिया
2 टिप्पणियां:
सुन्दर रचना!
मातृ-दिवस की बहुत-बहुत बधाई!
ममतामयी माँ को प्रणाम!
सुन्दर प्रस्तुति
मातृ दिवस पर आप को हार्दिक शुभकामनायें और मेरी ओर से देश की सभी माताओं को सादर प्रणाम...
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