शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर के आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकारों, चित्रकारों और संगीतज्ञों की बहुआयामी गोष्ठी (भाग- एक)

दिनांक पाँच फरवरी २०१० को संध्या सात बजे संस्कारधानी जबलपुर की अनेक गण्यमान हस्तियों ने " विसुलोक " में आयोजित बहुआयामी गोष्ठी को एक "अविस्मरणीय - निशा " बनाया.
आयोजन में विभिन्न विधाओं के सिद्धहस्त लोगों ने शिरकत की. कार्यक्रम की अध्यक्षता गोविन्दराम सेकसरिया महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. कुंदन सिंह परिहार ने की. गोष्ठी में उपस्थित अधिकांश व्यक्तित्व मुख्य अतिथि या विशिष्ट अतिथि की आसंदी पर बैठे हुए आज के पहले हम किसी न किसी कार्यक्रम में देखते चले आ रहे थे परन्तु आज वे सभी लोग एक साथ बैठ कर एक अलहदा आनंद का अनुभव कर रहे थे. विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षरों एवं वरिष्ठ साहित्यकारों की उपस्थिति में कार्यक्रम अतिथियों द्वारा सरस्वती पूजन, पंडित जगदीश दीक्षित के स्वस्ति-वाचन एवं सार्थक खंडालकर की ईश्वर वंदना से प्रारम्भ हुआ. कार्यक्रम संचालक भाई राजेश पाठक "प्रवीण" ने कार्यक्रम की उपादेयता पर प्रकाश डाला. चर्चाएँ, संगीत प्रस्तुतियाँ, अभिव्यक्तियाँ, भजन एवं कविताओं से परिपूरित कार्यक्रम को सराहा गया. वरिष्ठों के दिशाबोधी उद्बोधनों से सम्प्रक्त आयोजन का लुत्फ़ सभी हाजिर लोगों ने जमकर उठाया.
डॉ. परिहार के एक पार्श्व में मधुरकंठी गीतकार प्रोफ़ेसर जवाहर लाल चौरसिया "तरुण " थे तो दूसरे पार्श्व में दो दर्ज़न से भी अधिक विभिन्न विषयक साहित्यिक पुस्तकों के रचयिता आचार्य भगवत दुबे आनंद ले रहे थे। सभागार में शिक्षाविद डॉ. हरिशंकर दुबे और वरिष्ठ चित्रकार श्री कामता सागर, मध्यप्रदेश की प्रथम पत्रिकाओं में से एक " शताब्दी" के यशस्वी सम्पादक श्री ओंकार ठाकुर, विदेशों में अपने लोक गायन का लोहा मनवाने वाले अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त श्री रूद्र दत्त दुबे, सांख्यकीय अधिकारी इंजी. राजेश दीक्षित, जबलपुर की कला-संवाहक ५२ वर्षीय संस्था " गुंजन कला सदन " के संस्थापक श्री ओंकार श्रीवास्तव, आंचलिक साहित्यकार परिषद् के संस्थापक प्रोफ़ेसर राजेन्द्र तिवारी "ऋषि" , स्वर्ण जयंती मना चुकी संस्था "मिलन " के सूत्रधार, वरिष्ठ पत्रकार एवं कवि श्री मोहन शशि, अद्वितीय 'मानव मंदिर ' के संस्थापक श्री अशोक आनंद, चित्रकार एवं मूर्तिकार शक्ति प्रजापति, आध्यात्म चिन्तक जी.पी. केसरवानी, प्रख्यात बुन्देली कवि गुप्तेश्वर द्वारका गुप्त , व्यंग्यकार एवं कहानीकार श्री रमेश सैनी, संगीतज्ञ एवं भजन गायक अंशलाल पंद्रे, कहानी मंच के सचिव श्री रमाकांत ताम्रकार, अरुण यादव, विजय नेमा 'अनुज', राजीव गुप्ता, बसंत मिश्र, विनोद खंडालकर, पंडित रमेश दत्त पाण्डेय, पंडित जगदीश दीक्षित, सुनील तिवारी, जागेश्वर प्रसाद रैदास, रमाकांत गौतम, डॉ. राजेंद्र सिंह, सतीश दुबे, जितेन्द्र तिवारी, दिनेश साहू, समीर तिवारी, चन्द्र प्रकाश बजाज, नरेश केसरवानी, सुभाष दुबे, सौरभ तिवारी, ज्ञानेंद्र अवस्थी, विजय गुप्ता, इंजी. प्रदीप झा, इंजी. महेश दुबे, कवि एवं नाटककार इंजी. देवेन्द्र 'देवेश' आदि की उपस्थिति कार्यक्रम की गरिमा गुणोत्तरित कर रही थी.
इस आयोजन में विशेष रूप से उल्लेखनीय अध्याय तब जुड़ा जब जबलपुर की माटी में पले-बढे, हम सबके चहेते, सर्वश्रेष्ठ हिंदी ब्लॉगर, उड़न तस्तरी ब्लॉग के माध्यम से ब्लॉग जगत में सर्व-व्यापी श्री समीर लाल "समीर" ने "ऑन लाइन जुड़कर" एक गीत गुनगुनाया , जिसे हम अपने पाठकों को इसी पोस्ट में सुनवा रहे हैं. संस्कारधानी जबलपुर के विख्यात ब्लागरों में भाई महेंद्र मिश्रा, कवि, शायर, गीतकार भाई बवाल जी, श्री पंकज स्वामी 'गुलुश' एवं ख्याति प्राप्त कार्टूनिस्ट श्री राजेश दुबे 'डूबे जी' आदि ब्लागरों की उपस्थिति से कार्यक्रम हाईटेक रहा.
मेरे बेटे के मित्र युवा छात्रनेता एवं क्षेत्रीय पार्षद श्री अमरीश मिश्र ने कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया। मेरे परिवार से मैं, मेरी पत्नी सुमन तिवारी, एकलौता बेटा सुविल तिवारी सहित मधु केसरवानी, ईशान, प्रियम, वैभव, अभिषेक, आदित्य, दीपक, दीपांशु, उमेश, गौरव, प्रशांत, रोहित, रामेश्वर, संदीप, नीलेश, विशाल, सचिन, सार्थक आदि ने कार्यक्रम को स्वरुप दिया।


सार्थक खंडालकर द्वारा कार्यक्रम के आरम्भ में गाई गयी ईश्वर वंदना को सुनने के लिए [ मुझे क्लिक करें। ]
श्री समीर लाल जी द्वारा ऑन-लाइन सुनाये गए गीत का भी अतिथियों ने आनंद उठाया .
आइये हम आपको भी समीर जी का वही गीत सुनवाते हैं [मुझे क्लिक करें ]
इस भाग में बस इतना ही. अगले भाग में हम अंतर राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त लोकगीत गायक एवं संगीतज्ञ पंडित रुद्र दत्त दुबे "करुण" द्वारा संगीतबद्ध की गयी दुष्यंत की रचना हमारे अभिन्न मित्र एवं ब्लॉगर "श्री बवाल" की संगीत प्रस्तुतियाँ देखेंगे-सुनेंगे.... क्रमशः....
- विजय तिवारी" किसलय"

11 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत आभार क्रार्यक्रम की शानदार रिपोर्टिंग के लिए..सार्थक की ईश्वर वंदना सुनकर आनन्द आ गया. पिछले बरस की यादें आँखों के सामने तैर गई. बहुत आभार. अगली कड़ी का इन्तजार है.

vandana gupta ने कहा…

bahut hi sundar aayojan tha........aabhar.

holi ki hardik shubhkamnayein.

Urmi ने कहा…

आपको और आपके परिवार को होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

समय चक्र ने कहा…

बहुत बढ़िया सरगार्वित जानकारी . बहुत ही गरिमामयी कार्यक्रम था ... आभार

Girish Kumar Billore ने कहा…

होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

SHABD VIHANG ने कहा…

अच्छा आलेख, अच्छा कार्यक्रम.
-आचार्य भगवत दुबे

KADAMBARI JABALPUR ने कहा…

इस वर्ष पुनः एक अच्छे कार्यक्रम के लिए बधाई.
- मराल

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत अच्छी विस्तरित जानकारी है। धन्यवाद

shama ने कहा…

Padhke man lalchaya..laga kaash hambhi wahan maujood hote!

बवाल ने कहा…

एक बहुत ही बेहतरीन आयोजन की बहुत ही उम्दा प्रस्तुति डॉ.साहब। हमें मालूम है कि रंग-पंचमी के दिन हम आपके आयोजन में शरीक न हो सके और इस वजह से आपको बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा होगा। हमें अंदेशा पहले से ही था मगर आपका आग्रह हमेशा इतना स्नेहमयी और अपनेपन से भरा हुआ होता है कि उसके आगे सारे बहाने धरे रह जाते हैं। मगर यहाँ कुछ ऐसा हुआ है कि हम आपको क्या किसी को बता सकते नहीं। मजबूरी को समझें। हमें मोबाइल ही बंद करके रखना पड़ रहा है। व्यवसायिक परेशानियाँ भी हैं जी, मार्च का महीना और दो दो शहरों में चाहने वाले हमारे क्लाईंट्स। किस किस के हो जाएँ ? भाई बड़ी भागमभाग है। किसी को ना कहते बनता नहीं, सो हमेशा इसी तरह फंस जाते हैं।
खै़र, आप अपना समझेंगे तो मुआफ़ रखेंगे हमें। इसी दुआ के साथ।

SHAKTI PRAJAPATI ने कहा…

KYA BAAT HAI SIR,AAP SWAYAM SIDH HAIN YE BAAT MAINE KAI BAAR KAHI HAI.