Vijay saheb, samayaanukool doha sarahneey hai.vartmaan dharatal kii aapki pakad bahut achchhi hai. kaabil e tareef hai.saahity kii khushboo ke darshan bhi ho rahe hain dohe mein. dil se badhaai!!
किसलय साहब, आपने मातृभूमि की गंध को दोहे में पिरोकर तो दिल ही जी लिया जी। बहुत लाजवाब । नम्रता की विजय को हम किसलय साहब की विजय भी कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी शायद। बहुत दिन आप सबसे दूर रहा इसके लिए मुआफ़ी की दरकार है। आपका अपना ---बवाल
17 टिप्पणियां:
अहा!! इसी सौंधी गंध को तो लोग तड़प गये. बेहतरीन दोहा!
वाह!!!!बहुत बढिया।
aaj hamare city em bhi gandh mili
अहा आज से इस सौधी गंध की खुशबू मिलने लगी है . बहुत ही मनभावन दोहा है .
कभी समयचक्र और निरंतर पर भी अपनी खुशबू बिखेरने का कष्ट करे.
महेंद्र मिश्र
जबलपुर.
हम तो प्रतिदिन ही इस गन्ध को अनुभव कर रहे हैं।
इसी सौंधी गंध को महसूस करने के लिए तो
दिल बेचैन था !
शुभकामनाएं !
आज की आवाज
wah sach main sondhi gandh mahsus ho rahi hai....
वर्षा करती धरा से,
जैसे ही अनुबंध॥
शुभारम्भ की घोषणा ,
करती सौंधी गंध॥
Samay se vartalap karti rachna.Badhai.
Vijay saheb,
samayaanukool doha sarahneey hai.vartmaan dharatal kii aapki pakad bahut achchhi hai. kaabil e tareef hai.saahity kii khushboo ke darshan bhi ho rahe hain dohe mein. dil se badhaai!!
इस सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत धन्यवाद...
विजय जी,
सौंधी गंध महसूस होती है। बहुत ही सुन्दर, सार्थक और कसी हुई अभिव्यक्ती।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
Ati uttam sir ji
एक और सुन्दर दोहा.
किसलय साहब,
आपने मातृभूमि की गंध को दोहे में पिरोकर तो दिल ही जी लिया जी। बहुत लाजवाब ।
नम्रता की विजय को हम किसलय साहब की विजय भी कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी शायद।
बहुत दिन आप सबसे दूर रहा इसके लिए मुआफ़ी की दरकार है।
आपका अपना
---बवाल
भाई जी ,अभिवादन!
इन दो पंक्तियों में पूरी वर्षा ऋतु सिमट आई है .............
शुभकामनायें ........
just amazing , kya khoob likha hai mere dost , padhkar jhoom gaya ji , bus badhai hi badhai, varsha ritu ka aanand hi kuch aur hai ji
regards
vijay
please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com
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